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अजंता गुफा घूमने की ऐतिहासिक जानकारी एवं उससे जुड़े तथ्य

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अजंता की गुफा महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अजंता की प्राचीन गुफा भारत में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक हैं जो भारतीय गुफा कला का सबसे महान जीवित उदाहरण हैं। यह गुफा, एलोरा गुफाओं की तुलना में भी काफी पुरानी है। अजंता की गुफाएं वाघुर नदी के किनारे एक घोड़े की नाल के आकार के चट्टानी क्षेत्र को काटकर बनाई गई है। इस घोड़े के नाल के आकार के पहाड़ पर 26 गुफाओं का एक संग्रह है।

यह गुफाएं चट्टानों पर काटकर बनाये गए बौद्ध स्मारक हैं, जिन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। अगर आप इतिहास को जानने के बारे में या ऐतिहासिक चीज़ों को देखने का शौक रखते हैं, तो अजंता गुफा की यात्रा करना आपके लिए बहुत ही आनंदमय साबित हो सकता हैं। इन गुफाओं की कलाकारी और सुंदरता आपके मन को शांति और सुख का एहसास कराएगी। आइये आपको अजंता की गुफाओं के बारे में कुछ खास बाते बताते हैं।

अजंता की गुफाएँ कहाँ स्थित है – 
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अजंता की गुफाएँ 30 चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध गुफा स्मारक हैं जो कि दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर लगभग 480 ई.पू. से भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं । यह गुफाएँ अजंता नामक गाँव के पास ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है।

अजंता की गुफा का इतिहास –
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अजंता की गुफाएं मुख्य रूप बौद्ध गुफा है, जिसमें बौद्ध धर्म की कला कृतियाँ है। इन गुफाओं का निर्माण दो चरणों में हुआ है। पहले चरण में सातवाहन और इसके बाद वाकाटक शासक वंश के राजाओं ने इसका निर्माण करवाया। पहले चरण की अजंता की गुफा का निर्माण दूसरी शताब्दी के समय हुआ था और दूसरे चरण वाली अजंता की गुफाओं का निर्माण 460-480 ईसवी में हुआ था। बता दें कि पहले चरण में  9, 10, 12, 13 और 15 ए की गुफाओं का निर्माण हुआ था। दूसरे चरण में 20 गुफा मंदिरों का निर्माण किया गया। पहले चरण को गलती हीनयान कहा गया था, इसका सम्बन्ध बौद्ध धाम के हीनयान मत से है। इस चरण की खुदाइयों में भगवान् बुद्ध को स्तूप से संबोधित किया गया है। दूसरे चरण की खुदाई लगभग 3 शताब्दी के बाद की गई। इस चरण को महायान चरण कहा गया। कई लोग इस चरण को वतायक चरण भी कहते हैं। जिसका नाम वत्सगुल्म के शासित वंश वाकाटक के नाम पर पड़ा है।

अजंता की चित्रकला की विशेषता 
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इन गुफाओं में प्राचीन चित्रकला और मूर्तिकला का बेहतरीन नूमना देखने को मिला था जिसे भारतीय चित्रकला कला और मूर्ति की कलाकारी का सबसे बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। अजंता की गुफाएँ बौद्ध युग के बौद्ध मठ या स्तूप हैं। यह वो जगह है जहाँ बौद्ध भिक्षु रहा करते थे इसके साथ वो यहां अध्ययन और प्रार्थना करते थे। पहली बार अजंता की गुफाओं को 19 वीं शताब्दी में एक ब्रिटिश ऑफिसर द्वारा वर्ष 1819 में तब खोजा गया था जब वे शिकार कर रहे थे और उन्होंने झाड़ियों, पत्तियों और पत्थरों से ढकी एक गुफा देखी। इसके बाद उनके सैनिकों ने गुफा में जाने के लिए रास्ता बनाया तब उन्हें वहां पुरानी इतिहास के साथ कई गुफाएँ मिलीं। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी सरकार को दी। तब से आज तक अजंता की गुफाओं की खुदाई और अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद सन 1983 में इन गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था। इस समय यह अद्भुद गुफाएँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में हैं। पूरे साल अजंता की गुफाओं को देखने दुनिया भर से पर्यटक विशेष रूप से बौद्ध अनुयायी इस पर्यटन स्थल पर आते हैं।

अजंता की गुफा का चित्र और वास्तुकला 
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अजंता की गुफाओं की दीवारों और छत पर भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को  नक्काशी और चित्रों के द्वारा बताया गया है। अजंता में कुल 30 गुफाएँ हैं जो आपके को आपको पुराने के लोगो की प्रतिभा और अतीत की याद दिलाती है। अजंता की गुफाओं में 24 बौद्ध विहार और 5 हिंदू मंदिर हैं। इन सभी में से गुफा 1, 2, 4, 16, 17 सबसे सुंदर है और गुफा 26 बुद्ध की पुनर्निर्मित प्रसिद्ध प्रतिमा स्थित है। इन सभी गुफाओं की खुदाई लगभग यू-आकार की खड़ी चट्टान के स्कार्पियो पर की गई है जिनकी ऊंचाई लगभग 76 मीटर हैं।

अजंता की गुफाओं का नाम भारत से सबसे ज्यादा देखें जाने वाले पर्यटन स्थल में आता है। यहाँ हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं। अजंता गुफा के इतिहास पर अगर नज़र डाले तो बता दें कि इन गुफाओं का इस्तेमाल बौद्ध मठ के रूप में किया जाता था जहां छात्र और भिक्षु अपने अध्ययन को वैरागी में दर्ज करने के साथ करते हैं। यह जगह प्रकृति के बेहद करीब थी और भौतिकवादी दुनिया भी काफी दूर थी।

अजंता की गुफाओं के चैत्य गृह में सुंदर चित्र, छत और बड़ी खिड़कियां हैं। पहले खुदाई में मिली गुफाएं दक्कन में पाई जाने वाली गुफाओं कोंडेन, पिटालखोरा, नासिक की तरह है। इन गुफाओं को बनाने का दूसरा चरण 4 शताब्दी में शुरू हुआ था जो वताको के शासन के समय बनाई गई थी। यह गुफाएं सबसे खूबसूरत और कलात्मक थी। इस चरण की गुफाओं में ज्यादातर पेंटिंग का काम किया गया था।

अजंता की गुफाओं की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय – 
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अगर आप अजंता की गुफाएँ देखने जाने का प्लान बना रहे हैं और यह जानना चाहते हैं कि यहाँ जाने के लिए सबसे अच्छा समय कौनसा है तो बता दें कि यह गुफाएं पर्यटकों के लिए पूरे साल खुली रहती हैं, लेकिन महीने के हर सोमवार को यह बंद रहती हैं।

आप साल में किसी भी मौसम में आप इन गुफाओं को देखने आ सकते हैं। लेकिन अक्टूबर से फरवरी तक अच्छी जलवायु और ठंडा मौसम होने की वजह से यहां पर्यटकों की उपस्थिति पूरे साल की अपेक्षा काफी ज्यादा होती हैं। मार्च से जून तक गर्मी का मौसम होता है जिसमे यहाँ दिन के समय तापमान 40 ° C से अधिक हो जाता है। इसके बाद जून के अंत से अक्टूबर मानसून का मौसम रहता है। यहाँ गर्मी और बरसात, ठंड की तुलना में ज्यादा होती हैं इसलिए यहाँ आने वाले पर्यटक ठंड से लेकर शरद ऋतू तक यहाँ घूमना ज्यादा पसंद करते हैं। बाकी आप अपनी सुविधा और इच्छा के अनुसार साल के किसी भी मौसम में यहां जा सकते हैं।

अजंता की गुफा घूमने का समय -
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अगर आप अजंता की गुफाओं की यात्रा पर जा रहे हैं तो आप यहाँ  सुबह 09:00 से शाम 05:00 बजे तक घूम सकते हैं, लेकिन महीने के हर सोमवार को यह गुफाएं बंद रहती हैं।

अजंता की गुफा की फीस और शुल्क – 
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अजंता की गुफाओं में प्रवेश के लिए भारतीयों को प्रवेश शुल्क के रूप में 10 रूपये देने होंगे वही विदेशियों के लिए 250 रूपये लगेंगे। अगर आप अंदर अपना विडियो कैमरा लेकर जाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए 25 रूपये चार्ज देना होगा। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चो के लिए यहां प्रवेश नि:शुल्क है।

अजंता की गुफा देखने कैसे जायें – 
अगर आप अजंता की गुफाएं देखने का मन बना चुकें है तो यहाँ जाने से पहले आपको यह तय करना होगा कि आप यहां किस माध्यम से जाना चाहते हैं। अजंता की गुफाएँ भारत में महाराष्ट्र राज्य के उत्तर में स्थित हैं। यह जगह मध्यप्रदेश राज्य की सीमा के करीब है। अजंता की गुफाओं की दूरी औरंगाबाद से 120 किलोमीटर और जलगाँव से 60 किलोमीटर है। यह दो शहर अजंता गुफा जाने के लिए सबसे अच्छे हैं। औरंगाबाद एक बड़ा शहर है जो अच्छी तरह से इस पर्यटन के साथ जुड़ा हुआ है। जलगाँव एक छोटा शहर है लेकिन यह गुफाओं के सबसे पास स्थित है।

अजंता की गुफाएँ हवाई जहाज से कैसे पहुंचें – 
अगर आप हवाई मार्ग द्वारा अजंता की गुफाओं की यात्रा करने का सोच रहे हैं तो बता दें कि इन गुफाओं तक पहुँचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद का है। यहां से अजंता की गुफाओं की दूरी 120 किलोमीटर है। जिसमे लगभग 3 घंटे लगते हैं। औरंगाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद आप किसी भी बस या टैक्सी की मदद से  गुफाओं तक पहुंच सकते हैं। औरंगाबाद के लिए आपको मुंबई और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से सीधी उड़ाने मिल जाएंगी। इन दोनों हवाई अड्डों की भारत में सभी महत्वपूर्ण शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है।

अजंता की गुफाएँ रेल से कैसे पहुंचें – 
अगर आप रेल से अजंता की गुफाओं के लिए जा रहे हैं तो आपको इसके लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जलगाँव शहर (60 किमी) उतरना होगा। इसके अलावा आपके पास दूसरा विकल्प औरंगाबाद रेलवे स्टेशन (120 किमी) है। जलगाँव स्टेशन के लिए आपको भारत के सभी महत्वपूर्ण शहरों और पर्यटन स्थलों मुंबई, नई दिल्ली, बुरहानपुर, ग्वालियर, सतना, वाराणसी, इलाहाबाद पुणे, बैंगलोर, गोवा से डायरेक्ट ट्रेन मिल जाएगी। इसी तरह औरंगाबाद रेलवे स्टेशन के लिए आपको आगरा, ग्वालियर, नई दिल्ली, भोपाल आदि शहरों से ट्रेन मिल जाएगी। बता दें कि जलगाँव रेलवे स्टेशन की कनेक्टिविटी औरंगाबाद स्टेशन से ज्यादा बेहतर है।

अजंता की गुफाएँ सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें 
अजंता की गुफाओं तक जाने के लिए औरंगाबाद और जलगाँव दोनों शहरों से अच्छी सड़क कनेक्टिविटी है। अगर रेल या हवाई यात्रा करके यहाँ पहुंचते हैं तो इसके बाद आप सड़क द्वारा गुफाओं तक पहुंच सकते हैं। मुंबई (490 किमी), मांडू (370 किमी), बुरहानपुर (150 किमी), महेश्वर (300 किमी) और नागपुर से आप सड़क मार्ग से  आरामदायक यात्रा कर सकते हैं।

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