अगर आप को समुद्र पर बने हुए रेलवे पुल के पास एक विशाल जहाज तेज़ी से आता दिखाई दे और लगे कि वो पुल से टकराने जा रहा है तो आप क्या करेंगे? शायद रूस, जापान, जर्मनी जैसे विकसित देशों में या ऑस्ट्रेलिया के सिडनी हार्बर पर बने प्रसिद्ध पुल के सामने होते तो आपको पता होता कि वह पुल दोनों तरफ से उठ जायेगा और जहाज को जाने कि जगह दे देगा पर भारत में अब तक ऐसा एक भी पुल नहीं है।
जी हाँ, आपको यह जानकर गर्व होगा कि अपने भारत में भी अब एक ऐसा ही पुल ऐसा बनने जा रहा है जिसे वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज कहते हैं, जो जहाज के आने पर अपनी जगह से हट जायेगा और जहाज के चले जाने पर वापस अपनी जगह आ कर फिट हो जायेगा। है ना आश्चर्य की बात, तो चलिए आपको बताते हैं कि ये कमाल का समुद्री रेलवे पुल भारत में कहाँ पर बनने जा रहा है!
कहाँ बन रहा है भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज?
हम बात कर रहे हैं भारत में बंगाल की खाड़ी के किनारे बसे रामेश्वरम धाम को मण्डपम शहर और पम्बन द्वीप से जोड़ने वाले पम्बन रेलवे पुल की जो लगभग 250 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है। पम्बन द्वीप के समुद्री रास्ते पर पुराने पुल के बेहद आकर्षक नज़ारों का आनंद तो आपने शाहरूख़ ख़ान की हिंदी फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रैस‘ में लिया ही होगा, परंतु वह पुल अब 108 साल पुराना और बहुत जर्जर हो चुका है जिस पर ट्रेनें 10 किलोमीटर प्रति घंटा की धीमी रफ़्तार से रेंगते हुए चलती है।
कैसे काम करते हैं ये वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज?
इस 2 किलोमीटर लंबे पुल पर जैसे ही कोई जहाज पास आएगा, बिल्कुल ट्रैफिक कंट्रोलर की तरह ऑपरेटर उस पुल को लिफ्ट प्रणाली से दोनों तरफ से उठा कर के जहाज को जाने की जगह दे देगा। सोचिए कितना रोमांचक लगेगा ट्रेन में बैठ कर एक पुल को इस तरह दोनों तरफ से उठते हुए देखना और फिर जहाज का उसके अंदर से निकल जाना! जहाज के आते ही पटरियाँ अपने आप ही लिफ्ट की तरह ऊपर चली जायेंगी और जहाज के जाते ही वापस अपनी जगह पर इंटरलॉक हो जायेंगी, जिससे उसके ऊपर से ट्रेन निकल सके। इस पुल को उठाए जाने के बाद एक बार में 2 विशालकाय जहाज़ों को निकालने की जगह होगी और इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 10 मिनट का ही समय लगेगा।
यह नया पंबन ब्रिज शेजर रोलिंग लिफ्ट तकनीक से बनेगा जो 100 किलोमीटर से भी अधिक तेज़ समुद्री हवाओं को झेलने की क्षमता रखने के साथ ही तेज़ समुद्री तूफानों का भी सामना करने में सक्षम होगा। इस पुल में नयी तकनीक से बने हुए स्टेनलेस स्टील, कम्पोज़िट स्लीपर और एक लंबे समय तक टिकने वाले पेंट की प्रणाली जैसी इंजीनियरिंग की नई तकनीकें शामिल होंगी।
यह पुल जब बन कर तैयार होगा तो इस में 143 खम्भे लगे होंगे और इसमें दो-पतरों से बना हुआ और इंटरलॉकिंग से जुड़ा एक बैस्क्यूल खंड बना हुआ होगा। इन दोनों खंडों में शेजर रोलिंग लिफ्ट स्पैन होते हैं, जिन्हें जहाजों के आने-जाने के लिए उठाया जा सकता है।
इस तरह की नयी तकनीक वाली सुविधायें किसी भी देश की प्रगति की पहचान और देश का गौरव होतीं हैं। अब तक इस तरह के बेहतरीन नज़ारे सिर्फ विदेशों में ही देखने को मिलते थे, पर अब आप गर्व से मुस्कुरा सकते हैं क्योंकि अब नयी तकनीक का कमाल का ये पुल अब आपके अपने देश में भी है। अब इससे पर्यटकों के लिए और विशेष तौर पर श्रद्धालुओं के लिए रामेश्वरम जाना सुविधाजनक हो जाएगा।
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