दुनिया में आज कई ऐसे आधुनिक उपकरण मौजूद है जो प्राचीन समय के भारतीय निर्मित उपकरणों के संशोधित रूप है, जिन्हें वर्षों पहले हमारे पूर्वजों ने निर्मित किया था। ऐसा ही एक हथियार है “गुप्ती”(Gupti)। गुप्ती भारत का एक पारंपरिक तलवार या चाकू नुमा हथियार है। यह बाहर से छड़ी जैसा दिखता है, परन्तु इसके अंदर गुप्त रूप से पतली तलवार इस प्रकार रखी जाती है कि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत बाहर निकाली जा सके। यह हथियार आगे से नुकीला और दोनों किनारों से बहुत तेज होता है। इसे इस प्रकार से बनाया गया है कि वक्त पड़ने पर यह हथियार के रूप में प्रयोग किया जा सके। यह पूरी तरह से लकड़ी के बॉक्स (Box) या छड़ी में छिपाया जा सकता है। पहले के समय में ये हथियार विशेष रूप से फकीरों के पास देखने को मिलता था, जिस कारण इसे फकीर की बैसाखी भी कहा गया।
फकीर मूल रूप से तपस्वियों का एक समूह है जो इस्लाम के एक रहस्यमय रूप का अभ्यास करता है, जिसे सूफीवाद (Sufism) कहा जाता है। पहले जो फकीर इस्लाम धर्म के सूफीवाद का अनुसरण करते थे वे घर-परिवार, सुख-सुविधाएं त्याग कर सड़कों-गलियों में घूमते रहते थे, सभी विलासिता को छोड़ उन्होंने भिक्षा और भगवान का रास्ता अपनाया था। परन्तु कई बार उनकी यात्रा में उन्हें जान के खतरों का सामना भी करना पड़ जाता था और उन्हें हथियार ले जाने की भी मनाही थी, इन्हें किसी प्रकार का भी हथियार रखने की अनुमति नहीं थी। यह परिस्थिति उनके लिए समस्याग्रस्त थी, खासकर तब जब उन्हें सड़क पर सोना पड़ता था क्योंकि उन्हें निरंतर असुरक्षा का भय बना रहता। इसलिए उन्होंने भी शाओलिन भिक्षुओं (Shaolin monks) की तरह ऐसे हथियारों को विकसित करना शुरू किया जिन्हें छिपाया जा सके। हालांकि बैसाखी युद्ध में उपयोग करने के लिए एक आदर्श हथियार नहीं था, परंतु एक फकीर के जीवन को सड़क के ठगों से बचा सकता था। इसकी असली शक्ति छड़ी के अंदर छिपी हुई तेज तलवार के ब्लेड (blade) है, बस उपयोग के समय इसे ठीक से संभालना और खींचना आना चाहिये। इस प्रकार यह फकीरों में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। गुप्ती के कई रूपांतरण हैं जिसमें से तलवार या स्वॉर्डस्टिक (Swordstick) भी एक है। यह एक प्रकार की छड़ी है जिसमें एक ब्लेड जैसी संरचना छिपी होती है। इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर 18 वीं शताब्दी के आसपास यूरोपीय हथियारों का वर्णन करने के लिए किया जाता था, लेकिन पूरे इतिहास में इसके समान और भी कई उपकरणों का उपयोग किया गया, जिनमें विशेष रूप से रोमन डोलन (Roman dolon), जापानी शिकोम्ज़्यू (shikomizue) और भारतीय गुप्ती भी शामिल हैं। 18 वीं और 19 वीं शताब्दी के दौरान, धनी लोग स्वॉर्डस्टिक का प्रयोग करना अत्यधिक पसंद करते थे, उस समय ये एक लोकप्रिय फैशन (fashion) बन गया था। इस अवधि के दौरान, इस हथियार को खुले तौर पर इस्तेमाल करना या पास रखना सामाजिक रूप से कम स्वीकार्य था। लेकिन उच्च वर्ग के पुरुष तलवारबाजी में प्रशिक्षित थे तथा आत्मरक्षा के लिए नियमित रूप से इसे अपने पास रखते थे। परंतु उस समय महिलाओं द्वारा हथियारों का इस्तेमाल सामाजिक रूप से कम स्वीकार्य था। इस वजह से महिलाओं के पास यह हथियार प्रायः चलने के लिए प्रयोग की जाने वाली छड़ में छिपा होता था। ये गुप्त हथियार धीरे- धीरे इतने लोगप्रिय बन गये कि इन हथियारों के प्रवेश के तुरंत बाद गैजेट केन (Gadget Canes) लोकप्रिय हो गए जिनमें एक ब्लेड के बजाय, किसी के व्यापार के उपकरण, कम्पास (Compasses) और यहां तक कि शराब पीने के लिए एक बर्तन के उपकरण रखे जाने लगे।
ऐसे हथियारों के स्वामित्व, निर्माण या व्यापार की बात करे तो कई देशों में इन्हें प्रतिबंधित हथियारों की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि भारत में विभिन्नधार्मिक प्रावधानों के तहत घरों में परंपरागत हथियार रखने का चलन है, लोग निजी सुरक्षा के लिए लोग परंपरागत हथियार रखते हैं और कुछ समय पहले तक इसके लिए लाइसेंस की जरूरत भी नहीं पड़ती थी। लेकिन नए अधिनियम के अनुसार अब परंपरागत हथियारों (तलवार, भाला, कटार, चाकू इत्यादि) को रखने के लिए भी लाइसेंस लेना होगा। आर्म्स एक्ट 1959 (Arms Act 1959) के तहत कुछ चाकू को हथियार के रूप में वर्गीकृत किया गया है। आर्म्स एक्ट के तहत सब्जी काटने वाला चाकू ही रखा जा सकता है, लेकिन यदि चाकू की लम्बाई घरेलू चाकू से अधिक हुई तो उसे बिना लाइसेंस के रखना अपराध की श्रेणी में आयेगा, इसके अलावा यह इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करता है कि आखिर किस इरादे से चाकू पास में रखा गया है। लेकिन इस नियम के तहत गोरखाओं को खुखरी (Khukhri) और सिखों को कृपाण तथा तलवार जैसे परंपरागत हथियारों के लाइसेंस में छूट देने की योजना बनाई गयी है। हालांकि यह निरपेक्ष नहीं है। यदि निरोधात्मक आदेश लागू हैं, तो यह अधिकार भी निलंबित है। लाइसेंसिंग अधिकारियों ने आम तौर पर चाकू या तलवार के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया है। बेल्जियम (Belgium) में भी स्वॉर्डस्टिक निषिद्ध है क्योंकि यह गुप्त हथियारों के अंतर्गत आता है। फ्रांस में इसे स्वयं की सुरक्षा के लिये पास में रखना 6 वीं श्रेणी के हथियार को पास में रखने जैसा माना जाता है। जर्मनी (Germany) में स्वॉर्डस्टिक जैसे गुप्त शस्त्रों को रखना निषिद्ध है। न्यूजीलैंड (New Zealand) में स्वॉर्डस्टिक को एक प्रतिबंधित आक्रामक हथियार माना जाता है। यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में भी स्वॉर्डस्टिक जैसे गुप्त हथियारों का व्यापार करना आपराधिक न्याय अधिनियम 1988 (आक्रामक हथियार) आदेश 1988 (The Criminal Justice Act 1988 (Offensive Weapons) Order 1988), के तहत अवैध बना दिया गया है।
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।