भारत सरकार ने देश भर में 18 बायोस्फीयर संरक्षित क्षेत्र स्थापित किए हैं। ये बायोस्फीयर भंडार भौगोलिक रूप से जीव जंतुओं के प्राकृतिक भू-भाग की रक्षा करते हैं और अकसर आर्थिक उपयोगों के लिए स्थापित बफर जोनों के साथ एक या ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य को संरक्षित रखने का काम करते हैं। संरक्षण न केवल संरक्षित क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों के लिए दिया जाता है, बल्कि इन क्षेत्रों में रहने वाले मानव समुदायों को भी दिया जाता है। भारत ने २००९ में हिमाचल प्रदेश के शीत-रेगिस्तान को बीओस्फियर रिजर्व के रूप में नामित किया। २० सितंबर, २०१० को, पर्यावरण और वन मंत्रालय ने शशचलम पहाड़ियों को १७ वीं जीवमंडल आरक्षण के रूप में नामित किया। पन्ना (मध्य प्रदेश) को २५ अगस्त, २०११ को १८ वें स्थान पर नामित किया।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने वर्ष 1970 में ‘मानव और जैवमंडल कार्यक्रम’ (MAB : Man and the Biosphere Programme) की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में प्रबंधन, अनुसंधान और शिक्षा से संबंधित अंतर्विषयक उपागम को बढ़ावा देना है। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के दीर्घकालिक और गैर-नुकसानदेह प्रयोग को बढ़ावा देना भी इसके लक्ष्यों में शामिल है। मानव और जैवमंडल कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि वर्ष 1977 में ‘संरक्षित जैवमंडलों का वैश्विक नेटवर्क’ (World Network of Biosphere Reserve) तैयार करना था।
यूनेस्को के संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्दिष्ट वे संरक्षित क्षेत्र आते हैं जिन्हें ‘संरक्षित जैवमंडल’ (Biosphere Reserve) कहा जाता है और जिनका उद्देश्य मानव और प्रकृति के बीच एक संतुलित संबंध को प्रदर्शित करना है। अब तक इस नेटवर्क के अंतर्गत विश्वभर के 120 देशों में संरक्षित जैवमंडलों की संख्या 669 तक पहुंच चुकी है। भारत सरकार द्वारा देश में अब तक 18 संरक्षित जैवमंडल की स्थापना की गई है जिनमें से 10 को यूनेस्को के संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क में शामिल किया जा चुका है। इस विश्व नेटवर्क में शामिल भारत का 10वां संरक्षित जैवमंडल अगस्त्यमलाई है जिसे यूनेस्को के मानव और जैवमंडल कार्यक्रम की ‘अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद’ (International Co-ordinating Council) की लीमा (पेरू) में हुए सम्मेलन के दौरान विश्व नेटवर्क में शामिल किया गया।
- 18-19 मार्च, 2016 के मध्य पेरू की राजधानी लीमा में यूनेस्को के मानव और जैवमंडल कार्यक्रम की अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद के दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन हुआ।
- इस सम्मेलन में दुनिया भर से 20 स्थलों को यूनेस्को के संरक्षित जैवमंडलों के वैश्विक नेटवर्क में शामिल किया गया।
- दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट पर स्थित ‘अगस्त्यमलाई जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र’ भी उन 20 स्थलों में शामिल है जिन्हें वैश्विक जैवमंडलीय आरक्षित (World Biosphere Reserve) क्षेत्र का दर्जा प्रदान किया गया है।
- इस सम्मेलन में दुनिया भर से जिन 20 स्थलों को यूनेस्को के संरक्षित जैवमंडलों के वैश्विक नेटवर्क में शामिल किया गया उसमें मांट्स डी लेमसन (Monts De Tlemcen), अल्जीरिया; बीवर हिल्स (Beaver Hills), कनाडा; बालम बंगन (Balam Bangan), इंडोनेशिया; कोलिना पो (Collina Po), इटली; ग्रान पाजाटेन (Granpajaten), पेरू; अल्बेय (Albay), फिलीपींस तथा इस्ले ऑफ मैन (Isle of Man), यूनाइटेड किंगडम प्रमुख है।
- अगस्त्यमलाई जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र प्राकृतिक विशिष्टता के लिए मशहूर है। यह दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट में केरल एवं तमिलनाडु राज्य में विस्तृत है।
- भारत सरकार द्वारा इसकी स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी। इसका कुल क्षेत्रफल 3500.36 वर्ग किमी. है जिसमें 1828 वर्ग किमी. केरल में तथा 1672.36 वर्ग किमी. तमिलनाडु राज्य में है।
- इस जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में ऐसी चोटियां हैं जो समुद्र तल से 1868 मीटर ऊंची हैं।
- यह आरक्षित क्षेत्र मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय वन से निर्मित है। इसमें ऊंचे पेड़ों की 2254 प्रजातियां हैं जिसमें 400 स्थानीय पेड़ हैं।
- यह आरक्षित क्षेत्र उपजाए हुए पौधों का अनूठा आनुवंशिक भंडार है इसमें इलायची, जामुन, जायफल, काली मिर्च और केले के पौधे प्रमुख हैं।
- इस आरक्षित क्षेत्र में तीन वन्य जीव अभ्यारण्य शेंडुर्नी, पेप्पारा तथा नेय्यर स्थित हैं। इसके अलावा इसमें एक बाघ रिजर्व कलाकड़ मुंडनथुराई भी है।
- इस जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में 3000 की आबादी वाली कुछ आदिवासी बसावटें भी हैं जो अपने गुजारे के लिए इस पर निर्भर हैं।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र-
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थलीय और तटीय पारिस्थितिकी प्रणाली में आनुवंशिक विविधता बनाए रखने वाले बहुउद्देशीय क्षेत्र हैं। एक जैवमंडल संरक्षण क्षेत्र के मुख्य उद्देश्य निम्नवत हैं-
(I) प्राकृतिक तथा अर्द्धप्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों तथा भू-दृश्यों की जैव-विविधता का स्वस्थान संरक्षण।
(II) जैवमंडल संरक्षण क्षेत्रों में तथा इसके आस-पास रहने वाली जनसंख्या के टिकाऊ आर्थिक विकास में योगदान।
(III) दीर्घकालीन पारिस्थितिकी अध्ययन, पर्यावरण शिक्षा, ट्रेनिंग तथा अनुसंधान और प्रबोधन के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना।
कोई भी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र तीन भागों में विभाजित होता है-
(1) केंद्रीय भाग (Core Area), (2) बफर क्षेत्र (Buffer Area) और (3) संक्रमण क्षेत्र (Transition Area)।
केंद्रीय भाग : प्राकृतिक या केंद्रीय परिक्षेत्र एक बाधा रहित तथा प्राकृतिक रूप से रक्षित परितंत्र होता है। यह खंड जैव-विविधता के संरक्षण के लिए होता है। विनाश रहित अनुसंधान कार्य तथा कम संघटन वाली क्रियाओं जैसे शिक्षा तथा पारिस्थितिक पर्यावरण, को यहां संचालित किया जा सकता है।
बफर क्षेत्र : यह क्षेत्र केंद्रीय परिक्षेत्र को चारों तरफ से घेरे रहता है और इसका प्रयोग सहायक क्रियाओं जैसे- पर्यावरण शिक्षा, मनोरंजन, मूल तथा प्रायोगिक अनुसंधान इत्यादि के लिए किया जाता है।
संक्रमण क्षेत्र : जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का बाहरी भाग जो बफर परिक्षेत्र को चारों तरफ से घेरे रहता है, संक्रमण क्षेत्र कहलाता है। इस परिक्षेत्र में आरक्षित प्रबंधनों एवं स्थानीय लोगों के मध्य सक्रिय सहभागिता सामंजस्यपूर्ण चलती रहती है। यहां संरक्षण के प्रयास के साथ निस्तारण, कृषि, वानिकी एवं पुनर्निर्माण और अन्य आर्थिक उपयोग जैसी गतिविधियां चलती रहती हैं।
भारत के जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र-
भारत में अब तक 18 जैवमंडल आरक्षित स्थानों (Biosphere Reserves) को सूचीबद्ध किया जा चुका है। ये इस प्रकार हैं-
क्र. सं. | वर्ष | नाम | राज्य | प्रकार | क्षेत्रफल (वर्ग किमी.में ) |
1. | 2005 | अचानकमार-अमरकंटक* | म.प्र. एवं छत्तीसगढ़ | मैकाल रेंज | 3835.51 |
2. | 2001 | अगस्त्यमलाई* | तमिलनाडु और केरल | पश्चिमी घाट | 3500.36 |
3. | 1998 | दिहांग दिबांग | अरुणाचल प्रदेश | पूर्वी हिमालय | 5111.50 |
4. | 1997 | डिब्रू-सैखोवा | असम | पूर्वी हिमालय | 765 |
5. | 1989 | ग्रेट निकोबार* | अंडमान एवं निकोबार | द्वीप | 885 |
6. | 1989 | मन्नार की खाड़ी* | तमिलनाडु | तटीय | 10,500 |
7. | 2000 | कंचनजंगा | सिक्किम | पूर्वी हिमालय | 2619.92 |
8. | 1989 | मानस | असम | पूर्वी हिमालय | 2837 |
9. | 1988 | नंदा देवी* | उत्तराखंड | पश्चिमी हिमालय | 5860.69 |
10. | 1986 | नीलगिरि * | तमिलनाडु, केरल एवं कर्नाटक | पश्चिमी घाट | 5520 |
11. | 1988 | नोकरेक* | मेघालय | पूर्वी हिमालय | 820 |
12. | 1999 | पंचमढ़ी* | मध्य प्रदेश | अर्द्ध शुष्क | 4981.72 |
13. | 1994 | सिमलीपाल* | ओडिशा | दकन प्रायद्वीप | 4374 |
14. | 1989 | सुंदरबन* | पश्चिम बंगाल | गंगा का डेल्टा | 9630 |
15. | 2008 | कच्छ | गुजरात | मरुस्थलीय | 12454 |
16. | 2009 | शीत रेगिस्तान | हिमाचल प्रदेश | पश्चिमी हिमालय | 7770 |
17. | 2010 | सेशा चलम पहाड़ियां | आंध्र प्रदेश | पूर्वी घाट | 4755.997 |
18. | 2011 | पन्ना | मध्य प्रदेश | केन नदी का जल ग्रहण क्षेत्र | 2998.98 |
नोट- इन्हें यूनेस्को ने MAB कार्यक्रम के तहत जैवमंडल रिजर्व के विश्वतंत्र की सूची में शामिल किया है।
विश्व नेटवर्क-
यूनेस्को के मानव और संरक्षित जैवमंडल (MAB) कार्यक्रम सूची के आधार पर भारत के अठारह जीवमंडल संरक्षित क्षेत्रों में से 12 संरक्षित जैवमंडलों के विश्व नेटवर्क का भाग हैं।
नाम | राज्य | वर्ष |
---|---|---|
निलगिरी संरक्षित जैविक क्षेत्र | तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक | 2000 |
मन्नार की खाड़ी | तमिलनाडु | 2001 |
सुन्दरवन जैवमंडल रिजर्व | पश्चिम बंगाल | 2001 |
नन्दा देवी जैवमंडल रिजर्व | उत्तराखंड | 2004 |
नोकरेक जैवमंडल रिजर्व | मेघालय | 2009 |
पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व | मध्य प्रदेश | 2009 |
सिमलिपाल जैवमंडल रिजर्व | उड़ीसा | 2009 |
बड़ा निकोबार जैवमण्डल रिजर्व | बड़ा निकोबार | 2013 |
अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व | छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश | 2012 |
अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व | केरल और तमिलनाडु | 2016 |
कंचनजंघा | सिक्किम | 2018 |
पन्ना बायोस्फेयर रिजर्व | मध्यप्रदेश | 2020 |
आवश्यक सुझाव-
यदि आप यूनेस्को के संरक्षित जैवमण्डलो के विश्व नेटवर्क में शामिल भारत दिए गये सामान्य ज्ञान को सीखते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी करें, या दूसरों की मदद करने के लिए इस लेख को साझा करे।
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