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लोगों को निजी सेंटरों से एक्सरे कराना मजबूरी बन गया

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-चार माह से अस्पताल में लगी एक्सरे मशीन से एक भी एक्सरे नही हुआ
कर्नलगंज-गोण्डा।  चार माह से अस्पताल में लगी एक्सरे मशीन से एक भी एक्सरे नही हुआ। लोगों को निजी सेंटरों से एक्सरे कराना मजबूरी बन गया है। सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करनैलगंज की यह स्थिति है। यहां के मरीज कई सरकारी सुविधाओं से भी वंचित है। सीएचसी में शुरू की गई डिजिटल एक्स-रे सेवा धन के अभाव पिछले चार महीनों से बंद पड़ी है। लाखों की लागत से लगी मशीनें धूल फांक रही हैं। सीएचसी में ही एक्सरे हो जाने से मरीजों को निरूशुल्क जांच की सुविधा मिल रही थी। वहीं चिकित्सकों को इलाज करने में सहूलियत भी मिलती थी। यहां कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ नही है फिर भी चिकित्सकों द्वारा मरीजों का उपचार किया जा रहा है। जिसका लाभ भी मरीजो को मिल रहा है। मगर चार महीने से एक्सरे के लिए मरीजों को बाहर से जांच कराने में 300 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। कई गरीब मरीज हैं जो निजी केंद्रों पर जांच कराने में सक्षम नहीं रहते। फिर भी मजबूरी है। मरीजों की सुविधाओं को देखते हुए एक निजी पैैथोलॉजी संस्था के माध्यम से डिजिटल एक्सरे की सुविधा शुरू हुई थी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से धनराशि न दिए जाने पर संस्था ने मार्च से ही एक्सरे का संचालन बंद कर दिया है। इसके बाद से मशीनें जस की तस सीएचसी में खड़ी हैं। उनका उपयोग नहीं हो रहा है और मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ रही है। जिले के डीएम लगातार अस्पतालों का निरीक्षण व छापेमारी कर रहें है। मगर इन मूलभूत सुविधाओं पर उनकी भी नजरें इनायत नहीं हो रही हैं। सीएचसी अधीक्षक सुरेश चन्द्रा ने बताया इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।


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