हमारे दैनिक जीवन मे ऐसे अनेक उपकरण है जो बहुत ही महत्व रखते है । अगर ये उपकरण नही होते तो ये मानकर चलिए की हमारी जिंदगी आज जितनी आसान है उतनी बिल्कुल भी नही रहती । हो सकता है समय के साथ इन उपकरणों के आकार प्रकार में काफी बदलाव आया होगा लेकिन इनका काम बदला नही ।
बल्कि हो सकता है कि इनका काम बहुत ज्यादा बढ़ गया हो । पहले जहाँ ये सिर्फ एक ही प्रकार के काम को पूरा करने में उपयोगी होते हो लेकिन हो सकता है आज उस काम के साथ साथ आज अनेक कामो को पूरा करने में उपयोग लिया जाता हो ।
दोस्तो आज हम बात करने वाले है ब्लेड की । जी हां वही छोटा सा उपकरण जिसे हम हर रोज काम लेते है । आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि जब ब्लड नही थी तब लोग कैसे सेविंग करते थे । या सेविंग करने के लिए किसका उपयोग करते थे । आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि पहली बार ब्लेड बनाने का विचार किसका था ।
ब्लेड क्या है –
यह एक प्रकार से धातु की बनाई हुई एक पतली परत है । जिसे तेज धारदार बनाया जाता है । इसका उपयोग हम अनेक प्रकार के काम पूरा करने के लिए लेते है । ब्लेड का सबसे ज्यादा उपयोग ससेविंग बनाने में किया जाता है । साथ ही साथ इसका उपयोग अनेक प्रकार के आर्ट एंड क्राफ्ट के लिए भी किया जाता है ।
सेविंग का इतिहास –
दोस्तो सेविंग का इतिहास लगभग उतना ही पुराना है जितना कि मानव सभ्यता । पुरुषों के द्वारा दाढ़ी हटाने का काम पाषाण काल से ही किया जा रहा हैं । इसके अनेक कारण रहे है । जैसे की खुद की पसन्द , सांस्कृतिक , और भी अनेक कारणों से पुरुष दाढ़ी को हटाता आ रहा है ।
जैसे ही एक बार सिकंदर ने अपनी सेना के समस्त सेनिको को आदेश दिया कि वे सभी अपनी दाढ़ी हटा दी । सिकन्दर खुद भी अपनी दाढ़ी हटाकर रखता था । इसका कारण यह था की जब सैनिक युद्ध करते थे तब उनकी दाढ़ी को दुश्मन द्वारा पकड़ लिए जाने पर वे आसानी से कमजोर पड़ जाते थे और उन्हें आसानी से मौत के घाट उतारा जा सकता था ।
इसलिए ऐसा आदेश जारी किया गया था । अब प्रश्न ये उठता है कि ब्लेड का आविष्कार तो कुछ समय पूर्व ही हुआ है तो फिर वे सेविंग किस चीज से करते थे । पाषाण काल से लेकर आधुनिक काल तक सेविंग करने के अनेक तरीके काम लिए जाते रहे है । जैसे –
चकमक पत्थर –
इन पत्थरों को पाषाण काल मे घिस घिसकर तेज धारदार कर लिया जाता था । इन्हे अपनी जरूरत के अनुसार अनेक प्रकार के आकारों में बनाया जाता था । उस समय क्लीन शेव रखना कोई जरूरत नही थी और ना ही ये आवश्यक था ।
बस इसकी इतनी ही आवश्यकता थी कि दाढ़ी के बालों को सिर्फ इतना छोटा कर लिया जाए कि उनमें पसीना जमा ना हो और उसके कारण होने वाला संक्रमण ना हो सके । आज भी अनेक आदिवासी जातियों द्वारा चकमक पत्थर का उपयोग अपनी दाढ़ी के बालों को हटाने के लिए किया जाता है ।
सीपिया –
दो सीपियों को आपस मे जोड़कर उन्हें चिमटी का रूप दिया जाता था । जिसकी सहायता से दाढ़ी के बालों को खींचकर हटा लिया जाता था। सीपियों को घिसकर तेज धारदार भी बनाया जाता था ।
जिसकी सहायता से भी दाढ़ी के बालों को हटाया जाता था । यह उस समय सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका था । सीपियों को उस समय ब्लेड के रूप में काम लिया जाता था ।
धातुओं की सहायता से –
जब इंसान और ज्यादा उन्नत हुआ । जैसे जैसे उसी धातुओं की जानकारी हुई और वह कांस्य युग मे पहुंचा तो अब धातुओं के धारदार हथियार बनाए जाने लगे । साथ ही साथ अनचाहे बालों को हटाने के लिए भी अनेक प्रकार के औजारों का निर्माण किया जाने लगा क्योकि धातु के ये औजार ज्यादा अच्छे तरीके से काम लिए जा सकते थे ।
इन्हे मनचाहे आकर का बनाया जा सकता था । ये ज्यादा लंबे समय तक काम लिए जा सकते थे । सेविंग करने के औजारों के सबूत प्राचीन मिश्र में मिलते है । वहा की कब्रो में इन्हें भी रखा जाता था ।
रेजर की शरुआत कब हुई –
धीरे – धीरे धातुओं से औजार बनाने के बाद अब नए नए औजार विकसित किये जाने लगे । इन्हें हम आधुनिक ब्लेड की नींव मान सकते है । प्राचीन यूनान में ऐसे सबूत मिलते है ।
उस समय तक साबुन की खोज हो चुकी थी । धीरे धीरे नाई की दुकान खुलने लगी और इसी समय ये माना जाता है कि गीली शेव का प्रारम्भ भी इसी समय हुआ था । उस समय यूनान में नाईयो के द्वारा सेविंग करते वक्त गर्म पानी से गीले तौलिए को चेहरे पर रखा जाता था ।
उस्तरे का आविष्कार –
1700 वी शताब्दी आते आते उस्तरे का आविष्कार हो चुका था । इसका अविष्कार इंग्लैंड में किया गया था । यही से यह पूरी दुनिया मे फैला था । 1740 आते आते उस्तरे का निर्माण स्टील से भी किया जाने लगा । जिससे लोहे के उस्तरे के जैसे इसे बार बार घिसना नही पड़ता था ।
बार बार घिसने की परेशानी से छुटकारा मिल गया था । बस यही से आधुनिक स्टीलनेस स्टील ब्लेड के निर्माण की नींव पड़ी । उस समय बने उस्तरे का वही डिजाइन आज भी खूब प्रचलित हैं और आज भी नाईयो के द्वारा इसी डिजाइन को पसन्द किया जाता हैं । बस फर्क इतना है कि आज नाई इसमें ब्लेड बदलते है ।
ब्लेड का आविष्कार किसने किया ?–
उस समय घर पर सेविंग नही बना सकते थे । सेविंग बनवाने के लिए बार बार नाई के पास जाना पड़ता था और बार बार घिसकर उसकी धार तेज करना भी एक सबसे बड़ी समस्या थी ।
जिसके कारण लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था । इसी समस्या की तरफ एक व्यक्ति का ध्यान गया और फिर क्या था सेविंग दुनिया मे क्रांति आ गई और सेविंग की पूरी दुनिया ही बदल गई ।
वह सेल्समैन था किंग सी जिलेट । जिसके नाम पर आज भी जिलेट ब्लेड बनाई जाती है । जिलेट ने ही पहली बार सेफ्टी ब्लेड का आविष्कार किया था । 1895 में जिलेट ने एक ऐसा ब्लेड बनाया जिसे बार बार घिसकर धार तेज करने की आवश्यकता नही थी बल्कि इसे फेंककर दूसरा ब्लेड डालकर काम लेना होता था ।
यह पहला सेफ्टी ब्लेड था जिसकी सहायता से घर पर ही सेविंग बनाई जा सकती थी । इससे कटने की संभवाना भी पारंपरिक उस्तरे से कम ही थी । सन 1904 में जिलेट काफी प्रसिद्ध हो गया । और उन्हें इसका पेटेंट भी मिल गया । इसके बाद जिलेट एक जाना पहचाना नाम बन गया ।
उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि द्वितीय विशवयुद्ध के अमेरिकन सेना ने सैनिकों की सेविंग के लिए जिलेट को एक सेविंग किट बनाने का आर्डर दिया । जैसे जैसे समय गुजरा जिलेट हर घर की जरूरत बन गई । जिलेट की प्रसिद्धि का कारण आज भी यही है कि उसने लागतात बदलते समय के साथ अपने डिजाइन में भी परिवर्तन जारी रखा ।
सन 1971 में आई ट्विन बेलेड का आविष्कार भी जिलेट ने ही किया था । सन 1998 में जिलेट तीन ब्लेड का सेविंग ब्लेड बाजार में लेकर आया उसका अविष्कार भी जिलेट ने ही किया था । आज जो सेविंग किट पुरुषों द्वारा घर पर काम लिया जाता है उसका डिजाइन भी जिलेट ने ही बनाया है ।
जिलेट कम्पनी अपने डिजाइन को किस प्रकार बदलती रहती है इसका कारण उसकी टैग लाइन में ही है । उसकी टैग लाइन है ‘ हम रेजर ब्लेड बनाना छोड़ देंगे अगर हम उन्हें और बेहतर नही बना पाए तो । ‘
इलेक्ट्रिक रेजर –
आज बाजार में अनेक प्रकार के रेजर उपलब्ध है । सन 1930 में पहला बिजली से चलने वाला रेजर बाजार में उतारा गया । इसका निर्माण किया था जैकब शिक ने । इसके बाद लगातार इसके डिजाइन में सुधार होते गई । आधुनिक ट्रिमर भी इसी डिजाइन का एक उन्नत सस्वरूप है ।
आधुनिक समय के बिजली से चलने वाले रेजर तो इतने उन्नत हो गए है कि ये क्लोज शेव और ट्रिमिंग दोनों ही काम एक साथ कर सकते है । इनका विकास भी रेजर के साथ साथ ही होता रहा । पुरुषों की शेविंग में नये नए आइडिया पर अब तक काम जारी है। कम्पनियाँ अब सिर्फ़ क्लोज़ शेव पर ज़ोर नहीं देती।
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