गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

नटराज आसन करने का तरीका और फायदे

Image SEO Friendly


भगवान शिव का एक नाम नटराज भी है। 'नटराज' भगवान शंकर के नर्तक  रूप को कहा गया है। शिव का यह नाम उनके नृत्य की वजह से पड़ा है। उनकी नृत्य करती हुई स्थिति को संस्कृत में नटराजासन भी कहा जाता है। जबकि अंग्रेजी में इस आसन को  कहा जाता है। 

शिव के इस नृत्य को ही भरतनाट्यम का आधार माना जाता है। इस नृत्य के माध्यम से शिव दुनिया में संगीत के लिए प्रेम, नृत्य और कला की शिक्षा देते हैं। अगर इस आसन को सही ढंग से किया जाए तो, ये भगवान शिव की नृत्य करती हुई मुद्राओं में से एक का प्रतीक बन जाती है।   

इसीलिए इस आर्टिकल में मैं आपको नटराजासन क्या है, के अलावा नटराजासन के फायदे, नटराजासन करने का सही तरीका, विधि और सावधानियों के बारे में जानकारी दूंगा।

क्या है नटराजासन?
नटराजासन मध्यम कठिनाई या इंटरमीडिएट लेवल का आसन है। इसे विन्यास योग की श्रेणी में रखा जाता है। इस आसन को करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड की होती है। इसे एक-एक बार दोनों पैरों से करना चाहिए। 

नटराजासन को करने के दौरान कंधों, जांघों, पेट के निचले हिस्से, पसलियों और लिंग के आसपास की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है। जबकि नटराजासन के अभ्यास से टांगें, एड़ी और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। 

नटराजासन की उत्पत्ति
नटराजासन के बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। हिंदू मिथक कथाओं में, अपस्मार एक अमर और बौना राक्षस है। अपस्मार को लापरवाही और मिर्गी रोग का प्रतीक माना जाता है। वह स्वभाव से अति आत्मविश्वासी और खुद को ही सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को हीन मानने वाला था।

एक बार कुछ ऋषि जंगल में अपनी पत्नियों के साथ हवन कर रहे थे। अचानक वहां भगवान शिव प्रकट हुए। भगवान को देखते ही ऋषि पत्नियां हवन छोड़कर शिव को प्रणाम करने चली गईं। इससे क्रोधित हुए ऋषियों ने अपस्मार को शिव और पार्वती पर आक्रमण करने का आदेश दिया। 

अपस्मार ने सबसे पहले पार्वती पर आक्रमण किया और उन्हें अचेत कर दिया। पार्वती को अचेत देखकर​ शिव क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने डमरू को 14 बार बजाया। अपस्मार के कान डमरू के नाद को सहन नहीं कर सके और वह जमीन पर गिर पड़ा। शिव ने अपने दाएं पैर को अपस्मार के सिर पर रखकर नृत्य करना शुरू कर दिया।

लेकिन अपस्मार की असंतुलित करने की शक्ति से बचने के लिए शिव ने नटराज का रूप धारण किया। नटराज रूप में शिव के चरणों के नीचे पड़ा बौना ही अपस्मार है। शिव ने अपस्मार को मारा नहीं, क्योंकि उसके मरते ही लापरवाही समाप्त हो जाती और ज्ञान प्राप्त करना बहुत आसान हो जाता। इससे विद्यार्थियों में आसानी से मिलने वाले उस ज्ञान के प्रति सम्मान खत्म हो जाता। 

शिव के नटराज रूप को देखकर भरत मुनि ने 2500 ई.पू. में नाट्य शास्त्र, भरतनाट्यम और नटराजासन की रचना की थी। इन तीनों को भारतीय ड्रामा और डांस का आधार माना जाता है। आज भी इन तीनों विषयों को दुनिया के लगभग हर ड्रामा और डांस स्कूल में पढ़ाया जाता है।

नृत्यावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्॥

जबकि शिव के डमरू से निकली ध्वनि को सुनकर महर्षि पाणिनी ने 'माहेश्वर सूत्र' के 14 सूत्रों और रूद्राष्टाध्यायी की रचना की। इस ग्रंथ को दुनिया की सभी भाषाओं की व्याकरण का आधार माना जाता है।

नटराजासन करने के फायदे 
ये आसन स्ट्रक्चर और मूवमेंट का खूबसूरत कॉम्बो है, और ये महान नटराज शिव के डांस का प्रतीक है। ये आपको मजबूत बनाने में मदद करता है और आपके दिमाग और शरीर को खोलने में मदद करता है। ये दिमाग और शरीर को ताकत और खूबसूरती भी देता है। 

योगी को नटराजासन में रीढ़ की हड्डी को को पीछे की तरफ काफी झुकाना पड़ता है। जब आप झुक रहे होते हैं तो शरीर को एक टांग पर बैलेंस करना होता है। योगी को इस आसन में लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

जब आप इन चुनौतियों से पार पा लेते हैं, तब आपको गहरी आंतरिक शांति का अनुभव होता है। ये अहसास दिल में ही महसूस किया जा सकता है। ये अहसास हमें सिखाता है कि दुनिया में रहकर भी उससे दूर कैसे रहें। कैसे अपने मन में परम शांति का अनुभव किया जाए। मन को ही अपना गुरु कैसे बनाया जाए? कैसे शांति के मार्ग को अपनाकर सुखी जीवन पाया जाए? 

इसके अलावा भी नटराजासन का अभ्यास करने के ढेरों फायदे हैं। जैसे, 
  • ये आसन आपके चेस्ट, एंकल्स, हिप्स और लेग्स को ताकत देता है। 
  • ये आसन आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वेट लॉस में मदद करता है। 
  • ये आपके ग्रोइन, एब्डॉमिनल ऑर्गन और जांघों को अच्छा स्ट्रेच देता है। 
  • आपका पोश्चर सुधरता है और संतुलन बढ़ता है। 
  • ये आपका डाईजेशन बेहतर करने में मदद करता है। 
  • आपकी फोकस करने की शक्ति मिलती है और स्ट्रेस से छुटकारा मिलता है।
  • ये आपके दिमाग को शांति देने में भी मदद करता है। 
  • इसके अभ्यास से शरीर को ज्यादा लचीला बनाने में मदद मिलती है। 
  • आपके फिप फ्लेक्सर्स (hip flexors) को खोलने में मदद मिलती है। 
नटराजासन करने का सही तरीका
शुरूआत में आपको अपनी जांघ के पिछले हिस्से की मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। आपको कोशिश करनी होगी कि उठे हुए पैर का टखना फ्लेक्स हो। इसके लिए, आपको अपने पैर के पंजे को पिंडली के करीब ले जाना चाहिए।

नटराजासन करने की विधि
  • शुरुआत करने के लिए योगमैट पर ताड़ासन में खड़े हो जाएं। 
  • सांस भीतर लें, और अपना बायां पैर पीछे की ओर उठाएं, इतना उठाएं कि एड़ी आपके बाएं हिप्स को टच करने लगे और घुटना म़ुड़ा रहे। पूरे शरीर का वजन दाएं पैर पर रहेगा। 
  • इसके बाद दायीं जांघ का दबाव हिप्स के जोड़ की तरफ डालें, और दाएं घुटने को ऊपर की तरफ खींचते हुए जोर डालें ताकि दायां पैर मजबूत और सीधा बना रहे।  
  • अपने धड़ को सीधा रखें। बाएं हाथ से बाएं पैर को पकड़ें। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपकी निचली पीठ दबी हुई न हो। तो, सुनिश्चित करें कि आपका प्युबिस का हिस्सा नाभि की तरफ उठा हुआ है। और जैसा कि आप करते हैं, फर्श पर अपनी टेलबोन को दबाएं।
  • अपने बाएं पैर को ऊपर उठाना शुरू करें, फर्श से दूर और पीछे, अपने धड़ से दूर। बाईं जांघ को अपने पीछे बढ़ाएं और फर्श के समानांतर। आपके दाहिने हाथ को आगे बढ़ाएं, जैसे कि वह फर्श के समानांतर हो।
  • इस स्थिति में 15 से 30 सेकेंड तक बने रहें। बाद में इसी आसन को दूसरे पैर से दोहराएं। 
नटराजासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें-
नटराजासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए। लेकिन अगर आप शाम के वक्त ये आसन कर रहे हों तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 से 6 घंटे पहले कर लिया हो।

ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो। 

नटराजासन करने में क्या सावधानी बरती जाए-
  • अगर आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो नटराजासन का अभ्यास करने से बचें।
  • अगर आपको लो ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो नटराजासन को भूलकर भी न करें। 
  • शुरुआत में नटराजासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें। बाद में जब संतुलन बनने लगे तो आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं। 
  • नटराजासन का अभ्यास शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 
नटराजासन करने से पहले ये आसन करें-
  • अधो मुख वृक्षासन 
  • धनुरासन 
  • एक पद राजकपोतासन 
  • गोमुखासन 
  • हनुमानासन 
  • सुप्त वीरासन 
  • सुप्त पादंगुष्ठासन 
  • ऊर्ध्व धनुरासन 
  • उष्ट्रासन 
  • उत्तानासन 
  • वीरभद्रासन III 
  • वीरभद्रासन I 
  • वीरासन 
  • वृक्षासन 
नटराजासन करने के बाद ये आसन करें-
नटराजासन को पीठ को पीछे की तरफ मोड़कर किए जाने वाले आसनों में आखिरी आसन माना जाता है। लेकिन ये रीढ़ की हड्डी को आराम और दर्द से राहत देता है। ये रीढ़ की हड्डी में होने वाली समस्याओं को दूर करने में भी बेहद कारगर है। इसलिए आप नटराजासन के बाद अर्ध उत्तानासन  का अभ्यास कर सकते हैं।

नटराजासन, योग विज्ञान का बहुत अच्छा आसन है। ये आसन भगवान शिव की नृत्य मुद्रा को समर्पित है। भगवान शिव को योग विज्ञान का सोर्स और आदियोगी भी कहा जाता है। वे जीवन के अंत, संहार, विनाश और परमशांति के प्रतीक हैं। 

नटराजासन का अभ्यास करने के लिए आपके पैर और क्वा​ड्रीसेप्स इतने मजबूत होने चाहिए कि पूरे शरीर का वजन उठा सकें। लेकिन सबसे पहले आपको अपने मन के डर पर जीत हासिल करनी होगी कि, कहीं आप अभ्यास करते हुए गिर न पड़ें।

अगर गिर भी जाएं तो गहरी सांस लें और कोशिश के लिए अपनी तारीफ करें और दोबारा अभ्यास करें। शुरुआती दौर में इस आसन को करने के लिए किसी योग्य योग शिक्षक से मार्गदर्शन जरूर लें।

No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"