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डिलीवरी के बाद होने वाले 20 कॉम्प्लिकेशन और उनके समाधान

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गर्भावस्था का सफर काफी मुश्किल होता है, लेकिन अपने बच्चे को अपने हाथों में देखना आपकी सभी परेशानियों को भुला देता है। हालांकि, कई महिलाओं के लिए, उनकी परेशानी यहीं खत्म नहीं होती है। डिलीवरी के बाद भी कुछ ऐसे कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं, जो आपको फिजिकली, मेंटली और इमोशनली रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख आपको उन्हें 20 कॉम्प्लिकेशन के बारे में बताया गया है जिसका आप डिलीवरी के बाद सामना कर सकती हैं, इतना ही नहीं आपको इन कॉम्प्लिकेशन से निपटने के तरीके भी बताए गए हैं, तो आइए जानते हैं वो कौन से कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं।

डिलीवरी के बाद होने वाले कुछ कॉमन कॉम्प्लिकेशन जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए 
यहाँ डिलीवरी के बाद होने वाले कुछ कॉमन कॉम्प्लिकेशन के बारे में बताया गया है, जो कुछ इस प्रकार हैं: 

1. डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होना 
जन्म के दौरान और बाद में ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन अगर यह बहुत ज्यादा मात्रा में होती है, तो इसे पोस्टपार्टम हेमरेज माना जाता है। इस कंडीशन के कारण प्रेगनेंसी के दौरान और बच्चे की डिलीवरी के बाद मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। पोस्टपार्टम हेमरेज लगभग पचास में से किसी एक डिलीवरी में देखा जाता है, खासकर अगर लेबर लंबे समय तक चलता है या दो या दो से अधिक बच्चे का जन्म होता है। इस मामले में, सर्विक्स या यूटरस फट जाता है, जिससे प्लेसेंटा को नुकसान पहुँच सकता है और आपको ब्लीडिंग होने लगती है।

उपाय 
पोस्टपार्टम हेमरेज का इलाज करने के कई तरीके हैं। जैसे, यूटरस मसाज, अपने पैरों को ऊपर उठाएं और ऑक्सीजन मास्क की मदद से साँस लेना आदि। इसके अलावा कई दवाएं भी उपलब्ध हैं, जैसे कि मेथरजिन  और हेमाबेट, लेकिन अगर ये तरीके काम नहीं आते हैं, तो सर्जरी की जा सकती है।

2. किडनी इन्फेक्शन 
किडनी इन्फेक्शन तब होता है जब पैथोजेनिक बैक्टीरिया यूरिनरी ब्लैडर से सर्विक्स में प्रवेश करता है। ऐसी कंडीशन में आपको बार-बार पेशाब आता है, बुखार, अस्वस्थता, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब करने में परेशानी होना और कब्ज आदि की समस्या हो सकती है।

उपाय 
अगर किडनी इन्फेक्शन का इलाज किया जाता है, तो ट्रीटमेंट के पहले कोर्स में इंट्रावीनस या ओरल एंटीबायोटिक शामिल हैं। इसके अलावा, आपके शरीर में हाइड्रेशन लेवल बनाए रखने के लिए अधिक मात्रा में फ्लूइड लेने के लिए कहा जाता है। सही इलाज के लिए यूरिन टेस्ट करना भी जरूरी होता है।

3. सी-सेक्शन डिलीवरी के दर्द होना
सिजेरियन सेक्शन एक इनवेसिव प्रोसेस है जिसमें बच्चे को जन्म देने के लिए पेट और गर्भाशय को काट कर खोला जाता है। फिर इसे टांके लगाकर वापस से बंद किया जाता है। इस घाव को ठीक होने में समय लगता है, और कुछ हफ्तों तक इसे छूने में  दर्द भी महसूस होता है।

उपाय 
सी-सेक्शन के बाद बेडरेस्ट बहुत जरूरी है। इसे जल्दी ठीक करने के लिए और दर्द कम करने के लिए दवाएं दी जाती हैं और साथ-साथ एंटीबायोटिक्स भी दी जा सकती हैं। गैस और कब्ज के कारण आपके टांके पर प्रेशर पड़ता है, जिससे यह कंडीशन और भी खराब हो सकती हैं। आप इसे बचने के लिए धीरे-धीरे खाना खाएं, बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचें और खुद को हाइड्रेटेड रखें।

4. योनि से डिस्चार्ज होना
डिलीवरी के बाद कुछ हफ्तों तक जारी रहने वाले लोचिया डिस्चार्ज को एक साइड इफेक्ट के रूप में देखा जा सकता है। प्लेसेंटा के कुछ टुकड़े, वजाइनल फ्लूइड और ब्लड क्लॉट से मिलकर, लोचिया डिलीवरी के पहले सप्ताह में गहरे लाल रंग का दिखाई देता है, धीरे-धीरे यह गुलाबी होने लगता है और समय के साथ साथ यह पीले से सफेद डिस्चार्ज में बदला जाता है।

उपाय 
इस मामले में आप सिर्फ डिस्चार्ज के रुकने का इंतेजार कर सकती हैं। लोचिया डिस्चार्ज ब्रेस्टफीडिंग और एक्सरसाइज के दौरान और भी बढ़ सकता है, लेकिन जब यह पूरी तरह से रुकता है, उससे पहले ही डिस्चार्ज का फ्लो कम होने लगता है।

5. बार-बार पेशाब आना
सर्विक्स के जरिए जो मसल्स बच्चे को पुश करने में शामिल होती हैं, वो वही मसल्स होती हैं जिससे पेशाब होता है। बच्चे को जन्म देने के बाद, आपको अपनी पेल्विक मसल्स में दर्द का अनुभव होगा और आपको बार-बार पेशाब आएगा। इसका मतलब यह है कि आपको पेशाब रोकने में परेशानी होगी, खासकर हँसते या चलते समय।

उपाय 
डिलीवरी के बाद ब्लैडर पर कंट्रोल पाने में आपको कुछ हफ्ते या महीने तक भी लग सकते हैं। इसके लिए आपको ट्रीटमेंट के तौर पर कीगल एक्सरसाइज करने के लिए कहा जाता हैं, जो पेल्विक मसल्स को मजबूत करने में मदद करती हैं। किसी भी इम्बैरेसिंग सिचुएशन से बचने के लिए आप सैनिटरी नैपकिन या पैंटी लाइनर पहने रखें, जिससे यह यूरिन अब्सॉर्ब कर लेगा।

6. मैस्टाइटिस
मैस्टाइटिस एक ब्रेस्ट इन्फेक्शन होता है, जिसमें आपको अपने ब्रेस्ट पर रेड स्पॉट दिखाई देंगे, इसके अलावा  मतली, बुखार, सिरदर्द और ठंड लगना आदि लक्षण भी शामिल हैं। यह बैक्टीरिया के कारण होता है और इम्यून कमजोर होने और डिलीवरी के स्ट्रेस के कारण यह और भी बढ़ जाता है। बहुत ज्यादा ब्रेस्टफीडिंग से होने वाले क्रैक निप्पल के कारण भी इन्फेक्शन हो सकता है।

उपाय 
मैस्टाइटिस की समस्या को दूर करने के लिए आपको एक डॉक्टर द्वारा निदान की जरूरत होती है, जो आपको एंटीबायोटिक दवाएं जैसे कि सेफैलेक्सिन और डिक्लोक्सेसिलिन देंगे। अच्छी बात यह है कि ब्रेस्टफीडिंग इन्फेक्शन से प्रभावित नहीं होती और इसलिए आप ब्रेस्टफीडिंग जारी रख सकती हैं। दर्द को कम करने के लिए, आप बारी बारी हॉट और कोल्ड ट्रीटमेंट दर्द वाली जगह पर इस्तेमाल कर सकती हैं। इस दौरान खुजली और पसीने से बचने के लिए आपको  ढीले कपड़े पहनना जरूरी है।

7. मिल्क डक्ट का क्लॉग्ड होना 
क्लॉग्ड मिल्क डक्ट, मिल्क डक्ट में होने वाले ब्लॉकेज के कारण होता है और इसके लक्षण भी मैस्टाइटिस से मिलते जुलते होते हैं। इसमें आपको तेज दर्द, रेडनेस और स्तनों में सूजन दिखाई दे सकती है।

उपाय 
इसका सबसे अच्छा इलाज यह है कि आपको इससे छुटकारा पाने के लिए ब्रेस्ट मसाज कराना चाहिए, ताकि मिल्क फ्लो थोड़ा आसान हो जाए, रोजाना नर्सिंग कराएं या पंप की मदद से दूध निकालें और एक वार्म टॉवल से सिकाई करें, ताकि आपको सूजन और असुविधा से राहत मिले।

8. स्ट्रेच मार्क्स
स्ट्रेच मार्क के दौरान आपकी त्वचा पर रेड और ब्राउन कलर की लाइनिंग बन जाती है, यह तब होता है जब आपकी त्वचा कुछ समय के लिए बहुत ज्यादा स्ट्रेच हो जाती है और फिर नॉर्मल हो जाती है। यह समस्या  डिलीवरी के बाद बहुत कॉमन होती है, ये आमतौर पर जांघों, पेट, हिप्स और ब्रेस्ट पर होता है।

उपाय 
स्ट्रेच मार्क्स से आपकी सौंदर्य को खराब कर देता है, हालांकि यह किसी बड़ी शारीरिक समस्या का कारण नहीं बनता है। इसके बावजूद भी कई महिलाओं को स्ट्रेस मार्क्स का होना पसंद नहीं होता है, आप इस समस्या को हल करने के लिए क्रीम और लोशन खरीद सकती हैं। वैसे यह सभी प्रोडक्ट बहुत ज्यादा असरदार नहीं होते हैं।

9. डिलीवरी के बाद होने वाला कब्ज
गर्भावस्था के आखरी हफ्तों के दौरान कब्ज होता है, क्योंकि बच्चे के लगातार बढ़ने के कारण पेट पर दबाव पड़ता है जिससे मल त्याग करने में परेशानी होती है। यह समस्या अक्सर डिलीवरी के बाद भी जारी रहती है और इससे आप बहुत असहज महसूस कर सकती है। कब्ज की परेशानी से आपको बार-बार पेशाब की समस्या भी हो सकती है।

उपाय 
डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या आमतौर पर एक या दो सप्ताह के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती है, लेकिन, फिलहाल इससे छुटकारा पाने के लिए कुछ तरीके मौजूद हैं। अपने आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं, जैसे कि हरी सब्जियां, फल, अनाज और दाल। एक दिन में कम से कम तीन लीटर पानी पीएं, खासकर यदि आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं। रेगुलर एक्सरसाइज करने से भी पाचन क्रिया बेहतर होती है, इसलिए आपको वाक और जॉगिंग करना चाहिए। गंभीर हालातों में कब्ज के कारण आपको बवासीर हो सकती है, ऐसे मामलों में मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनने के लिए आपको कुछ दवाएं दी जा सकती हैं।

10. ब्रेस्ट का बड़ा होना 
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डिलीवरी के कुछ दिनों बाद तक आपके ब्रेस्ट में सूजन रहेगी क्योंकि इसमें दूध आना शुरू हो जाता है। इससे ब्रेस्ट का आकार और वजन बढ़ जाता है और आपको दर्द का अनुभव होता है।

उपाय 
जैसे ही आप रेगुलर ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू कर देंगी, आपकी यह समस्या दूर होने लगेगी। अगर आपको जरूरी लगता है तो प्रेशर कम करने के लिए आप पंप की मदद से दूध निकाल सकती हैं। इसके बावजूद भी अगर आपकी परेशानी कम नहीं होती है तो पेन किलर या कोल्ड पैक इस समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

11. डिलीवरी के बाद बाल झड़ना
प्रेगनेंसी के दौरान आपकी स्किन और बालों के चमकदार होने के पीछे का कारण होता है प्रेगनेंसी हार्मोन। जैसे ही बच्चे के जन्म के बाद हार्मोन लेवल कम होने लगता है, आपके बाल तेजी से झड़ना शुरू ही जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपके बाल झड़ने रुक जाते हैं और प्रेगनेंसी के बाद यह दोबारा गिरने लगते हैं।

उपाय 
चूंकि आपका हार्मोन लेवल चार से पाँच महीने के अंदर नॉर्मल हो जाता है, इसलिए बालों का झड़ना भी धीरे-धीरे कम हो जाता है। आप बाल झड़ने की समस्या को रोकने के लिए अपनी डाइट में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल शामिल करें। हाई हीट सेटिंग वाले हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करने से बचें, इससे आपके बालों को नुकसान पहुँच सकता और झड़ना शुरू हो जाते हैं।

12. एंडोमेट्राइटिस
एंडोमेट्राइटिस, यूटरिन लाइनिंग में होने वाला एक बैक्टीरियल इन्फ्लेमेशन है, जिसे एंडोमेट्रियम के रूप में जाना जाता है। इस समस्या से जुड़े लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं जैसे, बहुत तेज बुखार, पेट में दर्द, योनि स्राव और भी कई लक्षण आदि शामिल हैं। इसका मुख्य कारण लेबर पीरियड का बढ़ना, मेम्ब्रेन का फट जाना और सी सेक्शन डिलीवरी हो सकता। यदि इसे कंट्रोल नहीं किया जाता है, तो एंडोमेट्राइटिस से ब्लड या ब्लड वेसल्स इन्फेक्शन हो सकता है, पेल्विक में फोड़े और सेप्टिक शॉक आदि की समस्या पैदा हो सकती है। बाद में यह मामला बहुत गंभीर हो सकता है कि इससे कोमा में जाने का खतरा रहता है यहाँ तक कि मृत्यु तक हो सकती है।

उपाय 
इसका इलाज करने के लिए आपको क्लिंडामाइसिन और जेंटामाइसिन जैसी एंटीबायोटिक दी जाती हैं। इसका अलावा आपको बेड रेस्ट, हाइड्रेटेड, विटामिन और मिनरल युक्त आहार लेने के लिए कहा जाता है।

13. डिलीवरी के बाद होने वाला डिप्रेशन  
इसे ज्यादातर बेबी ब्लूज के नाम से जाना जाता है, कई महिलाएं डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का अनुभव करती हैं, ऐसे आपके शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेस के कारण होता है साथ ही साथ अब आपके ऊपर बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारियां बढ़ने वाली होती हैं। डिलीवरी के बाद होने वाला डिप्रेशन लगभग 10 में से एक महिला को होता है, जिसमें उन्हें चिंता, निराशा और घबराहट जैसी भावनाओं का अनुभव होने लगता है। इसके अलावा आपका किसी काम में मन नहीं लगता है, वजन घटने लगता है, थकान, गिल्ट, अनिद्रा, सुसाइडल थॉट्स आने लगते हैं।

उपाय 
यदि आप डिप्रेशन महसूस होता है, तो इसे दूर करने के लिए आपके पास तीन बेहतरीन ऑप्शन है, रेस्ट करें, एक्सरसाइज करें और सही डाइट लें। स्टडी से पता चलता है कि अगर आप सही डाइट लेती हैं और पर्याप्त एक्सरसाइज करती हैं साथ कुछ एक्टिविटी में भाग लेती हैं जैसे स्विमिंग करना या वाक करना आदि, तो इससे डिप्रेशन क होता है। इसके अलावा अगर आपके घर परिवार के लोग आपकी अच्छी तरह देखभाल करते हैं तो आप जल्दी ही ठीक हो सकती हैं।

14. यूटरस इन्फेक्शन 
बच्चे को जन्म देने के बाद लगभग आधे से एक घंटे तक प्लेसेंटा बर्थ कैनल से बाहर रहता है। कभी-कभी, प्लेसेंटा का कुछ टुकड़ा गर्भाशय में रह जाता है, जिसकी वजह से यूटरिन टिश्यू में इन्फेक्शन हो जाता है। लेबर के दौरान एमनियोटिक फ्लूइड भी इन्फेक्टेड हो जाता है, जिससे डिलीवरी के बाद समस्याएं पैदा होने लगती हैं जैसे इम्युनिटी कमजोर हो जाना, तेज बुखार होना, धड़कन बढ़ना, पेट संबंधी समस्या और डिस्चार्ज में गंध होना आदि शामिल है।

उपाय 
एक बार जब आपके डॉक्टर इन्फेक्शन का निदान कर देते हैं, तो  इसके बाद आपको इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स दी जाती है। यह सेप्टिक शॉक जैसी समस्या से बचने के लिए बहुत जरूरी है।

15. संभोग के दौरान असहज महसूस होना
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अपने यौन जीवन को फिर से शुरू करने से पहले आपको फिजिकल और इमोशनल रूप से पहले खुद को तैयार करना चाहिए और यह बहुत जरूरी है। इसका मतलब है कि कम से कम पाँच से सात सप्ताह तक जब तक आपकी योनि और यूटरिन टिश्यू  पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं। यदि अपने ठीक से रिकवर नहीं किया है तो संभोग आपके लिए असहज हो सकता है, कभी-कभी तो डिलीवरी के कई महीनों तक आपको संभोग करने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, हार्मोनल चेंजेस के कारण भी आपकी सेक्स ड्राइव को प्रभावित होती है, जिससे आपकी संभोग करने में रुचि कम हो जाती हैं।

उपाय 
यह समझना जरूरी है कि यह सभी समस्याएं हमेशा के लिए नहीं हैं, समय ले साथ यह ठीक हो जाती हैं। यदि आपको फिजिकल और इमोशनल रूप से असहज महसूस हो रहा है तो आपको यह बात अपने पार्टनर को समझानी चाहिए, क्योंकि यह आपके रिश्ते को मजबूत करने का पहला कदम है।

16. रेक्टल, यूटरिन या ब्लैडर प्रोलैप्स
प्रोलैप्स एक ऐसी कंडीशन है जिसमें ऑर्गन अपनी जगह से खिसक जाते हैं। मुश्किल प्रेगनेंसी में या दो या दो से अधिक बच्चे की डिलीवरी के कारण रेक्टल, यूटरस और ब्लैडर प्रोलैप्स कर जाता है। यूटरस और रेक्टल प्रोलैप्स के लक्षणों में पेट में खिचाव जैसा महसूस होना, मल त्याग करने या पेशाब करने में बहुत ज्यादा परेशानी होना आदि शामिल है।

उपाय 
यदि प्रोलैप्स का मामला ज्यादा गंभीर नहीं होता है, तो डॉक्टर आपको बढ़ा हुआ वेट कम करने के लिए बोल सकते हैं, किसी भारी चीज को उठाने के लिए मना करते हैं और स्मोकिंग छोड़ने की सलाह देते हैं। इसके अलावा कीगल एक्सरसाइज करने से पेल्विक मसल्स स्ट्रोंग होती है। कुछ गंभीर स्थितियों में, सर्जरी की मदद से प्रोलैप्स ऑर्गन को फिर से अपनी जगह पर सेट किया जाता है।

17. एपिसियोटोमी पेन  
एपिसियोटोमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पेरिनेम और योनि के बीच छोटा सा चीरा लगाया जाता है। ट्रीटमेंट के दौरान, आप पेरिनेल क्षेत्र में हल्के दर्द का अनुभव कर सकती हैं।

उपाय 
एपिसियोटोमी के दर्द को शांत करने के लिए कुछ तरीकें हैं, जैसे आइस पैक ट्रीटमेंट और वार्म बाथ लेना शामिल है। इस बात का खयाल रखें कि इस क्षेत्र को हमेशा साफ रखा जाए और इसमें रगड़ नहीं लगना चाहिए। इसका मतलब है कि आपको एक ढीला अंडरवियर पहनना चाहिए एयर सर्कुलेशन होता रहे। आप स्पेशल मैक्सी पैड का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिनके अंदर आइस पैक हों। अगर आपका पेरिनेल क्षेत्र गर्म हो जाता है या उसमें सूजन व खुजली का अनुभव होता है, तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें ।

18. थायरॉयडिटिस
थायरॉयडिटिस, थायरॉयड ग्लैंड में होने वाली सूजन होती है, जो बच्चे के जन्म के बाद हो सकती है। यह नई माताओं में ज्यादा कॉमन होता है, क्योंकि इन्फेक्शन के कारण आपके ब्लड फ्लो में एंटी-थायरॉइड एंटीबॉडी को बढ़ा दिया जाता है। यह दो रूपों में हो सकता है, हाइपोथायरायडिज्म, जिसमें वजन कम होने लगता है, मतली, थकान, क्रैम्प आदि समस्या होने लगती है और दूसरा है हाइपरथायरायडिज्म जिसमें आपको थकावट, मूड स्विंग, अनिद्रा और दिल की धड़कन बढ़ने जैसी समस्याएं होने लगती है।

उपाय 
इसका निदान करने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन टेस्ट किया जाता है। थायरॉयडिटिस का इलाज आपकी ऐज, हेल्थ और आपकी कंडीशन पर निर्भर करता है। शुरुआत के चरणों में किसी खास ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन रोग बढ़ने पर आपको थायरॉयड हार्मोन थेरेपी देने की सलाह दी जा सकती है।

19. यूरिन संबंधी समस्या 
डिलीवरी के तुरंत बाद आपको पेशाब करने में परेशानी हो सकती है। कुछ मामलों में ऐनेस्थिसिया का इस्तेमाल करने से या लेबर दौरान पड़ने वाले प्रेशर के कारण ब्लैडर सेंस्टिविटी कम होने लगती है।

उपाय 
पर्याप्त मात्रा में फ्लूइड का सेवन करने से आपके यूरिनरी सिस्टम को कुछ घंटों में रीसेट होने में मदद मिलती है। यदि इसके बाद भी आपको पेशाब में परेशानी होती है, तो आपको राहत पहुँचाने के लिए एक कैथेटर इन्सर्ट किया जाता है। आपके डॉक्टर टेस्ट करने के लिए कह सकते ताकि यूरिनरी ट्रैक्ट में किसी भी इन्फेक्शन का पता लगाया जा सके।

20. तेज सिरदर्द
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डिलीवरी के दौरान ऐनेस्थिसिया देने के कारण आपको लगातार सिरदर्द की समस्या हो सकती है। हालांकि, इससे प्री-एक्लेमप्सिया जैसी कंडीशन भी इसमें शामिल है, जिससे आपको मतली और उल्टी, सूजन, ब्लड प्रेशर बढ़ना, धुंधली दिखना, जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

उपाय 
यदि आप ऊपर बताए गए कई लक्षणों का अनुभव करती हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए। जैसे, अगर आपके पैरों के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए, लेकिन अगर आपको छाती में दर्द का अनुभव होता है तो आपको एम्बुलेंस बुलाने की जरूरत पढ़ सकती है।

आपको डॉक्टर से कब परामर्श करना चाहिए
डिलीवरी के बाद के कुछ महीनों तक आपको अपने शरीर का अच्छी तरह से ध्यान रखना चाहिए, यदि नीचे बताए गए कोई भी लक्षण आपको नजर आते हैं तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
  • योनि क्षेत्र में होने वाला क्रोनिक पेन या बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना।
  • खांसी और पेट में निचले हिस्से में दर्द होने के साथ तेज बुखार होना।
  • अंगों, छाती या पेट में दर्द होना।
  • सुसाइड के थॉट आना, वायलेंस या डिप्रेशन होना।
  • डिलीवरी के दो हफ्तों के बाद भी वजाइनल डिस्चार्ज में गंध आना।

डिलीवरी के बाद का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, यह आपके शरीर को बच्चे के जन्म के बाद हील करने में मदद करता है। यह वह समय है जब आपका हार्मोनल इम्बैलेंस वापस ठीक होने लगता है, आपका मूड भी स्थिर होना शुरू हो जाता है और आपका पहले जैसा होने लगता है। डिलीवरी के बाद होने वाले कॉम्प्लिकेशन को आप जितना ज्यादा समझेंगी उतना जल्दी आप खुद को इससे बाहर ला पाएंगी। अपने नवजात शिशु की देखभाल करने के साथ साथ अपना ध्यान रखना न भूलें।

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