व्यंजनों का जायका बढ़ाने और इनमें इच्छानुसार तीखापन लाने के लिए लाल मिर्च की अहम भूमिका होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि व्यंजनों की दुनिया से अलग लाल मिर्च का उपयोग औषधीय रूप से भी किया जा सकता है। इस लेख में हम शरीर के लिए लाल मिर्च के फायदे के साथ-साथ लाल मिर्च का उपयोग भी बताएंगे। हालांकि, स्वास्थ्य के लिहाज से लाल मिर्च फायदेमंद है, लेकिन इसे लेख में बताई जा रहीं विभिन्न समस्याओं का पूर्ण इलाज समझना उचित नहीं होगा। हां, यह जरूरी है कि लाल मिर्च समस्या के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकती है। इसके अलावा, लेख के अंत में हम लाल मिर्च से होने वाले कुछ दुष्प्रभावों से भी आपको अवगत कराएंगे।
लाल मिर्च क्या है? –
विश्व भर में विभिन्न प्रकार की मिर्च पाई जाती हैं, जिनमें से एक कैयेने पेपर (लाल मिर्च) भी है। यह मिर्च लगभग 10 से 25 सेमी लंबी और आमतौर पर पतली होती है। यह स्वाद में तीखी और तासीर गर्म होती है। लाल मिर्च का वैज्ञानिक नाम कैप्सिकम अन्नुम है और यह सोलेनेसी परिवार से संबंध रखती है । लाल मिर्च कई तरह के पोषक तत्व से भरपूर होती है, जिसके बारे में लेख में आगे विस्तारपूर्वक बताया जाएगा।
लाल मिर्च के फायदे –
लाल मिर्च को सही मात्रा में लिया जाए, तो यह कई शारीरिक लाभ पहुंचाने का काम कर सकती है, जो निम्न प्रकार से है :
1. चयापचय को बढ़ाने के लिए
मेटाबॉलिज्म एक अहम शारीरिक प्रक्रिया है, जो शरीर में भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने का काम करता है। इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने में लाल मिर्च के फायदे देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि लाल मिर्च में मौजूद कैपेसिकिनोइड्स नामक तत्व मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया को बढ़ाने का काम कर सकता है, लेकिन इस पर अभी और शोध की जरूरत है।
2. पाचन में सुधार
लाल मिर्च के फायदे कमजोर पाचन क्रिया में सुधार करने के लिए भी हो सकते हैं (3)। दरअसल, लाल मिर्च में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो खाने को पचाने में सहायक माना जाता है। इसलिए, लाल मिर्च को पाचन के लिए उपयोगी माना जा सकता है ।
3. रक्तचाप को कम करने के लिए
बढ़ते रक्तचाप से परेशान लोगों के लिए लाल मिर्च किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। यह बढ़ते रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम कर सकती है। दरअसल, कैयेन में कैप्साइसिन नामक एक शक्तिशाली घटक पाया जाता है, जो उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक साबित हो सकता है । वहीं, अगर उच्च रक्तचाप की समस्या गंभीर अवस्था में हो, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
4. दर्द को कम करने के लिए
दर्द से पीड़ित लोगों के लिए लाल मिर्च उपयोगी साबित हो सकती है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि इसमें कैप्साइसिन नामक एक खास तत्व पाया जाता है, जो पीठ दर्द, जबड़े के दर्द और अन्य प्रकार के दर्द को कुछ हद तक कम कर सकता है । अगर दर्द ज्यादा हो, तो डॉक्टर की सलाह पर दवा जरूर लेनी चाहिए। साथ ही लाल मिर्च को भी घरेलू नुस्खे की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए
लाल मिर्च कई स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का काम कर सकती है, जिनमें से एक कैंसर भी शामिल है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, लाल मिर्च में एंटीकैंसर गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर के जोखिम से बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसमें मौजूद कैप्साइसिन फेफड़े के कैंसर के साथ-साथ गैस्ट्रिक कैंसर से बचाने में भी मदद कर सकता है। कैप्साइसिन कैंसर का कारण बनने वाली कोशिकाओं को पनपने से रोकने में मदद कर सकता है । बेशक, लाल मिर्च कैंसर से सुरक्षित रखती है, लेकिन अगर किसी को कैंसर है, तो उसके लिए मेडिकल ट्रीटमेंट से बेहतर कुछ नहीं है।
6. हृदय को सुरक्षा प्रदान करने के लिए
तंदुरुस्त शरीर के लिए हृदय का स्वस्थ रहना जरूरी है। ऐसे में हृदय को स्वस्थ रखने के लिए लाल मिर्च का उपयोग लाभकारी हो सकता है। जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि लाल मिर्च में कैप्साइसिन नामक तत्व होता है। यह उच्च रक्तचाप को कम करने का काम कर सकता है और उच्च रक्तचाप को हृदय रोग होने के मुख्य कारणों में गिना जाता है । इसलिए, यह कहा जा सकता है कि लाल मिर्च हृदय को स्वस्थ रखने में सहयोग दे सकती है, लेकिन इसमें अभी और शोध की आवश्यकता है ।
7. सोरायसिस में सुधार
सोरायसिस एक तरह की त्वचा संबंधित समस्या है, जिसमें त्वचा लाल और पपड़ीदार हो जाती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए लाल मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन सहायक हो सकता है। इसके लिए कैप्साइसिन युक्त क्रीम या लोशन का उपयोग किया जा सकता है । अच्छा होगा इसके इलाज के लिए एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
8. जोड़ों के दर्द से राहत
जोड़ों का दर्द दूर करने वाली हर्बल दवाइयों में लाल मिर्च को भी शामिल किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार लाल मिर्च का उपयोग ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द में राहत पाने में किया जा सकता है । ऑस्टियोआर्थराइटिस ऐसी अवस्था है, जिसमें हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि छोटी-सी चोट के कारण भी फ्रैक्चर हो सकती हैं। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
लाल मिर्च का उपयोग –
नीचे जानिए लाल मिर्च को आहार में शामिल करने के विभिन्न तरीके।
कैसे खाएं:
- सब्जी बनाने में लाल मिर्च का उपयोग किया जा सकता है।
- सलाद में इसकी चुटकी भर मात्रा का छिड़काव किया जा सकता है।
- इसे सिरका के साथ मिलाया जा सकता है।
- विभिन्न प्रकार के अचार बनाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
कब खाएं:
- जब भी आप भोजन का निर्माण करें, स्वादानुसार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- दोपहर या शाम के वक्त सलाद खाते समय ऊपर इसे चुटकी भर डाल सकते हैं।
कितना खाएं:
इच्छानुसार तीखेपन के लिए इसकी मात्रा का चयन किया जा सकता है। हालांकि, एक व्यक्ति के लिए बनाए जाने वाले भोजन (एक वक्त) में इसकी दो-तीन चुटकी मात्रा काफी है। सटीक मात्रा के लिए आप आहार विशेषज्ञ से पूछ सकते हैं। ध्यान रहे, इसका अधिक मात्रा में सेवन विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है, जिसके बारे में लेख में आगे विस्तार से बताया गया है।
आइए, अब लाल मिर्च खाने के नुकसान के बारे में जान लेते हैं।
लाल मिर्च के नुकसान –
नीचे जानिए लाल मिर्च से होने वाले नुकसानों के बारे में –
- लाल मिर्च खाने से पेट खराब, दस्त और मल त्याग करते समय जलन हो सकती है।
- इसके इस्तेमाल से गैस्ट्रिक की समस्या हो सकती है और यह अल्सर को जटील बना सकता है।
- इसका उपयोग करने से एलर्जी और जलन होने का जोखिम बढ़ सकता है।
- अगर कोई खूना को पतला करने के लिए वार्फरिन जैसी दवा का सेवन कर रहा है, तो लाल मिर्च का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। जैसा कि लेख में बताया गया है कि लाल मिर्च में कैप्साइसिन पाया जाता है, जो वार्फरिन जैसी दवा के साथ रिएक्शन करके खून को और पतला कर सकता है ।
इस लेख से यह तो स्पष्ट हो गया है कि लाल मिर्च का उपयोग करने से कई शारीरिक समस्याओं से बचा जा सकता है। साथ ही इसे उपयोग करते समय उचित मात्रा का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, अगर कोई खाने में तीखेपन का शौकीन है, तो उसे समय रहते अपनी इसी आदत को बदल लेना चाहिए। वहीं, अगर कोई गंभीर रूप से बीमार है, तो वो सिर्फ लाल मिर्च के भरोसे न रहे, उसे जल्द से जल्द से डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।
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