नोट -भारत की आजादी में शहीद हुए वीरांगना/जवानो के बारे में यदि आपके पास कोई जानकारी हो तो कृपया उपलब्ध कराने का कष्ट करे . जिसे प्रकाशित किया जा सके इस देश की युवा पीढ़ी कम से कम आजादी कैसे मिली ,कौन -कौन नायक थे यह जान सके । वैसे तो यह बहुत दुखद है कि भारत की आजादी में कुल कितने क्रान्तिकारी शहीद हुए इसकी जानकार भारत सरकार के पास उपलब्ध नही है। और न ही भारत सरकार देश की आजादी के दीवानो की सूची संकलन करने में रूचि दिखा रही जो बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है।
देश के इतिहास के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 20 अप्रैल 1857 को अंग्रेजों के सुरक्षित गढ़ कही जाने वाली कसौली छावनी से अंग्रेजों के अत्याचारों से भारत को आजाद कराने वाली पहली क्रांति शुरू हुई थी। भारत को अंग्रेजी शासन की जंजीरों से आजाद कराने के लिए हिमाचली जवानों ने भी इसमें अपने जीवन का बलिदान दिया था। 20 अप्रैल, 1857 को को अंबाला राइफल डिपो के छह भारतीय सैनिकों ने कसौली थाने को जलाकर राख कर दिया था। उस समय अंग्रेजों के शक्तिशाली गढ़ कहे जाने वाले कसौली छावनी में भारतीय सैनिकों द्वारा सेंध लगाए जाने से ब्रिटिश अधिकारी बौखला गए थे। परिणाम स्वरूप उन्होंने कई क्रांतिवीरों को पकड़कर जेलों में ठूंस दिया और कइयों को फांसी पर चढ़ा दिया था। हिमाचल में पहली क्रांति की चिंगारी कसौली से भड़की थी। कसौली में क्रांति की ज्वाला से भड़की चिंगारी ने पूरे हिमाचल को अपने आगोश में लेकर लोगों के मनों में अपने को आजाद कराने की अलख जगा दी थी।
क्रांति की जो चिंगारी कसौली से शुरू हुई थी, उससे डगशाई, सुबाथू, कालका, और जतोग छावनियों समेत पूरे हिमाचल में विद्रोह की लहर फैल गई थी। अंग्रेजों ने मेरठ, दिल्ली और अंबाला में भी विद्रोह की सूचना मिलते ही कसौली छावनी के सैनिकों को अंबाला कूच करने केआदेश दिए, जिसे भारतीय सैनिकों ने नहीं माना और खुले तौर पर विद्रोह करके बंदूकें उठा ली। कसौली की नसीरी बटालियन (गोरखा रेजिमेंट) ने भी ब्रिटिश अधिकारियों के अंबाला कूच करने के निर्देश नहीं माने। उस समय कसौली में नसीरी बटालियन हुआ करती थी, इसके सूबेदार भीम सिंह बहादुर थे।
13 मई, 1857 को सैनिकों ने अंग्रेजों के ऊपर हमला कर उन्हें धूल चटा दी थी, और कसौली ट्रेजरी में रखे चालीस हजार की राशि लूट ली थी। अंग्रेजों के तत्कालीन कमीश्नर पी मैक्सवैल ने अपनी डायरी में लिखा था कि यह हैरत की बात है कि मुट्ठीभर क्रांतिकारियों ने अपने से चार गुना अधिक अंगे्रजी सेना को हरा दिया था। गौरतलब है कि सिर्फ 45 क्रांतिकारियों ने 200 अंग्रेजों को धूल चटा दी थी। कोष लूटने के बाद नसीरी सेना जतोग कूच कर गई, उसके बाद विद्रोह की डोर स्थानीय पुलिस ने अपने हाथों में ले ली। तत्कालीन दरोगा बुध सिंह ने अंग्रेजों को काफी आतंकित किया, लेकिन वे पकड़े गए। उन्होंने गौरों के हाथों मरने से भला स्वयं को गोली मारकर शहीद कर लिया। पूरे देश में क्रांति के संचालन के लिए एक गुप्त संगठन बनाया गया था, पहाड़ों में इसके नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे जो सुबाथू के मंदिर में पुजारी थे। संगठन पूरे देश में पत्रों के माध्यम से क्रांति का संचालन किए हुए था। 12 जून, 1857 को इस संगठन के कुछ पत्र अंबाला के कमीश्नर जीसी बार्नस के हाथ लगे, जिसमें दो पत्र रामप्रसाद वैरागी के भी थे, जिससे संगठन का भेद खुल गया और वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फ ांसी पर चढ़ा दिया। हालांकि क्रांतिकारियों को सहयोग न मिलने के कारण अंग्रेजों ने दो माह में ही 1857 के विद्रोह को कुचल दिया था, लेकिन जो अलख उस समय क्रांतिवीरों ने जगाई, उसके फलस्वरूप 90 वर्ष बाद देश गुलामी से मुक्त हुआ था।
विशेष यह भी जाने
अभी थोड़े समय पहले अहिंसा और बिना खड्ग बिना ढाल वाले नारों और गानों का बोलबाला था ! हर कोई केवल शांति के कबूतर और अहिंसा के चरखे आदि में व्यस्त था लेकिन उस समय कभी इतिहास में तैयारी हो रही थी एक बड़े आन्दोलन की ! इसमें तीर भी थी, तलवार भी थी , खड्ग और ढाल से ही लड़ा गया था ये युद्ध ! जी हाँ, नकली कलमकारों के अक्षम्य अपराध से विस्मृत कर दिए गये वीर बलिदानी जानिये जिनका आज बलिदान दिवस ! आज़ादी का महाबिगुल फूंक चुके इन वीरो को नही दिया गया था इतिहास की पुस्तकों में स्थान ! किसी भी व्यक्ति के लिए अपने मुल्क पर मर मिटने की राह चुनने के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज है- जज्बा या स्पिरिट। किसी व्यक्ति के क्रान्तिकारी बनने में बहुत सारी चीजें मायने रखती हैं, उसकी पृष्ठभूमि, अध्ययन, जीवन की समझ, तथा सामाजिक जीवन के आयाम व पहलू। लेकिन उपरोक्त सारी परिस्थितियों के अनुकूल होने पर भी अगर जज्बा या स्पिरिट न हो तो कोई भी व्यक्ति क्रान्ति के मार्ग पर अग्रसर नहीं हो सकता। देश के लिए मर मिटने का जज्बा ही वो ताकत है जो विभिन्न पृष्ठभूमि के क्रान्तिकारियों को एक दूसरे के प्रति, साथ ही जनता के प्रति अगाध विश्वास और प्रेम से भरता है। आज की युवा पीढ़ी को भी अपने पूर्वजों और उनके क्रान्तिकारी जज्बे के विषय में कुछ जानकारी तो होनी ही चाहिए। आज युवाओं के बड़े हिस्से तक तो शिक्षा की पहुँच ही नहीं है। और जिन तक पहुँच है भी तो उनका काफी बड़ा हिस्सा कैरियर बनाने की चूहा दौड़ में ही लगा है। एक विद्वान ने कहा था कि चूहा-दौड़ की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि व्यक्ति इस दौड़ में जीतकर भी चूहा ही बना रहता है। अर्थात इंसान की तरह जीने की लगन और हिम्मत उसमें पैदा ही नहीं होती। और जीवन को जीने की बजाय अपना सारा जीवन, जीवन जीने की तैयारियों में लगा देता है। जाहिरा तौर पर इसका एक कारण हमारा औपनिवेशिक अतीत भी है जिसमें दो सौ सालों की गुलामी ने स्वतंत्र चिन्तन और तर्कणा की जगह हमारे मस्तिष्क को दिमागी गुलामी की बेड़ियों से जकड़ दिया है। आज भी हमारे युवा क्रान्तिकारियों के जन्मदिवस या शहादत दिवस पर ‘सोशल नेट्वर्किंग साइट्स’ पर फोटो तो शेयर कर देते हैं, लेकिन इस युवा आबादी में ज्यादातर को भारत की क्रान्तिकारी विरासत का या तो ज्ञान ही नहीं है या फिर अधकचरा ज्ञान है। ऐसे में सामाजिक बदलाव में लगे पत्र-पत्रिकाओं की जिम्मेदारी बनती है कि आज की युवा आबादी को गौरवशाली क्रान्तिकारी विरासत से परिचित करायें ताकि आने वाले समय के जनसंघर्षों में जनता अपने सच्चे जन-नायकों से प्ररेणा ले सके। आज हम एक ऐसी ही क्रान्तिकारी साथी का जीवन परिचय दे रहे हैं जिन्होंने जनता के लिए चल रहे संघर्ष में बेहद कम उम्र में बेमिसाल कुर्बानी दी।
No comments:
Post a Comment
कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।
अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।