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पैनिक अटैक के कारण, लक्षण और उपाय

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दुनिया जैसे-जैसे आधुनिकता की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे बीमारियां भी अपने पैर पसार रही हैं। समय के साथ बढ़ती समस्याओं में स्ट्रोक, पैरालिसिस, मिर्गी के दौरे जैसी कई समस्याएं शामिल हैं। कुछ बीमारियां तो इतनी डरावनी होती हैं कि व्यक्ति को मौत का डर लगने लगता है। ऐसी ही समस्या है पैनिक अटैक। कई लोग इस समस्या से अनजान होते हैं, इसलिए समझ नहीं पाते हैं कि आखिर उनके साथ क्या हो रहा है। इसी वजह से  इस लेख में हम पैनिक अटैक के संबंध में विभिन्न शोध पर आधारित जानकारी विस्तार से दे रहे हैं। पैनिक अटैक क्या है, यह समस्या क्यों शुरू होती है, इन सबके बारे में हम लेख में बताएंगे। इसके साथ ही पैनिक अटैक के लक्षण और इसे कुछ हद तक कम करने के तरीकों पर भी प्रकाश डालेंगे।

पैनिक अटैक क्या है – 
पैनिक अटैक वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति पर अचानक से कोई अनजान सा डर इतना हावी हो जाता है कि उसे मौत के खतरे का एहसास होने लगता है। यह अटैक कहीं भी और किसी भी समय व्यक्ति को आ सकता है। “डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के मुताबिक तीव्र भय और बेचैनी होना और कुछ ही मिनटों में इनका काफी ज्यादा बढ़ जाना पैनिक अटैक कहलाता है” । पैनिक अटैक अचानक और समय-समय पर आता-जाता रहता है । यह अटैक पैनिक विकार वाले लोगों को आता है, लेकिन पैनिक अटैक आने वाले सभी लोगों को पैनिक विकार नहीं होता है । यह अटैक घातक परिणाम भी दे सकता है, इसलिए जरूरी है कि इस संबंध में आवश्यक जानकारी रखी जाए। लेख में आगे इसके कारण, लक्षण, इलाज और बरती जाने वाली सावधानियां जानने को मिलेंगी।

पैनिक अटैक के कारण – 
अचानक से आने वाले पैनिक अटैक के कारण क्या हो सकते हैं, यह हम नीचे बता रहे हैं 
  • आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक।
  • बचपन में घटी दर्दनाक घटनाएं।
  • न्यूरल सर्किटरी (Neural circuitry, दिमाग में न्यूरोन्स की संख्या) की वजह से।
  • शरीर में रासायनिक असंतुलन, जैसे गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड, कोर्टिसोल और सेरोटोनिन में असामान्यताएं।
  • भय और चिंता।
  • तनाव
  • दवाएं और हाइपरथायरायडिज्म (थायराइड ग्लैंड द्वारा अधिक हार्मोन का उत्पादन) या वेस्टिबुलर डायफंक्शन (कान और दिमाग संबंधी समस्या) जैसी स्थिति।
  • ट्रॉमा।
  • अधिक कैफीन की मात्रा।
  • शराब और ड्रग्स।
  • लंबे समय से हाइपरवेंटिलेशन (तेज सांसें लेना) की समस्या।
  • पैनिक अटैक के कारण तो हम बता ही चुके हैं। चलिए, अब पैनिक अटैक के लक्षण के बारे में जान लेते हैं।
पैनिक अटैक के लक्षण – 
पैनिक अटैक आने के दौरान व्यक्ति कुछ इस तरह के शारीरिक लक्षणों को महसूस कर सकता है
  • तेजी से दिल धड़कना।
  • छाती में दर्द।
  • चक्कर आना।
  • पसीना आना।
  • कंपकंपी।
  • सांस लेने में तकलीफ या गला दबने जैसा महसूस होना।
  • चोकिंग (फूड या विंड पाइप में कुछ अटका सा लगना)।
  • सीने में दर्द।
  • पेट में दर्द या मतली।
  • हल्की सी ठंड या गर्मी लगना।
  • बेहोशी जैसा लगना।
  • शरीर का सुन्न होना या झनझनाहट होना 
  • जो है ही नहीं उसका एहसास होना
  • मरने का डर लगना।
  • नियंत्रण खोने का डर लगना।
पैनिक अटैक को कम करने के तरीके – 
1. लैवेंडर ऑयल
पैनिक अटैक में लैवेंडर के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। माना जाता है कि लैवेंडर ऑयल स्ट्रेस, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों में आराम पहुंचा सकता है, जो पैनिक अटैक का कारण बनते हैं। इसमें एंटीडिप्रेसेंट गुण भी पाए जाते हैं, जो पैनिक अटैक से बचाव और इससे आराम पाने में मदद कर सकते हैं (7)। इसके लिए लैवेंडर ऑयल को एक इनहेलर में डालकर पीड़ित व्यक्ति को सुंघाया जा सकता है।

2. मसल्स रिलैक्स
मांसपेशियों को रिलैक्स करके भी पैनिक अटैक से लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।  एनसीबीआई पर प्रकाशित एक शोध में मसल्स को रिलैक्स करने के बाद चिंता के स्तर में कमी पाई गयी (8)। मसल्स को रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज करने के लिए सबसे पहले सांस को लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को किया जाना चाहिए। स्ट्रेस को कम करने के लिए भी मसल्स को कुछ देर तक आराम दें (9)। व्यक्ति चाहे तो डॉक्टर की सलाह पर भी मसल्स को रिलैक्स करने के तरीके अपना सकता है।

  • पैनिक अटैक से बचने और इससे कुछ हद राहत पाने के लिए नीचे बताए जा रहे मसल्स रिलैक्सिंग टिप्स को अपनाया जा सकता है ।
  • दाहिना व सीधे हाथ की मुट्ठी को कसकर बांधे।
  • अब दाहिने हाथ की कलाई को कंधे के ऊपर लाकर मसल्स पोज बनाएं।
  • फिर दूसरे हाथ से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
  • यह करने के बाद जितना हो सके भौंहों को ऊपर उठाएं।
  • इसके बाद आंखें कसकर बंद कर लें।
  • जितना हो सके अपने मुंह को खोलें, जैसे जम्हाई लेते वक्त मुंह खुलता है।
  • चेहरे को आगे की ओर लाएं और अपने सिर को धीरे से पीछे करें।
  • कंधों को कानों के पास लाने की कोशिश करें, जिससे माशपेशियों पर थोड़ा तनाव पड़े।
  • कंधों को पीछे की ओर करें, जिससे सीना बाहर की ओर निकला नजर आए।
  • गहरी सांस लें, जिससे फेफड़े और छाती में हवा भर जाए।
  • कूल्हे की मांसपेशियों को दबाएं।
  • दाहिनी जांघ को कस लें।
  • सावधानी से पैर की उंगलियों को अपनी ओर खींचे, जिससे पिंडली की मांसपेशियां स्ट्रेच हों।
  • अब दाहिने पैर की उंगलियों को नीचे की ओर करें।
  • फिर दूसरी जांघ को कस लें।
  • बाएं पैर की उंगलियों को अपनी ओर खींचे, जिससे पिंडली की मांंसपेशियां स्ट्रेच हों।
  • फिर बाएं पैर की उंगलियों को नीचे की ओर करें।
  • मसल्स रिलेक्स करने की हर प्रक्रिया के बीच में मांसपेशियों को लगभग 10 सेकंड का आराम जरूर दें। साथ ही प्रक्रिया के दौरान शरीर पर ज्यादा दवाब न बनाएं और हड़बड़ी न करें।
3. हल्का व्यायाम करें
कुछ हल्के व्यायाम करने से एंडोर्फिन हार्मोन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। एक्सरसाइज करने से बढ़ने वाला एंडोर्फिन हार्मोन व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से जुड़ा है, जिसमें मूड भी शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की मानें तो यह हार्मोन मूड को अच्छा करने में मदद कर सकता है (12)। इसी वजह से माना जाता है कि हल्के व्यायाम जैसे टहलना या जॉगिंग और विशेषज्ञ की सलाह पर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज पैनिक अटैक को कम करने में सहायक हो सकते हैं। स्ट्रेस दूर करने के लिए योग भी डॉक्टर की सलाह पर किया जा सकता है।

4. गहरी सांसें लें
माना जाता है कि पैनिक अटैक आने पर प्रभावित व्यक्ति को गहरी सांस लेने की सलाह दी जानी चाहिए। जैसा कि हम ऊपर लेख में बता चुके हैं कि स्ट्रेस की वजह से पैनिक अटैक आता है। वहीं, स्ट्रेस को कम करने के कारगर उपायों में गहरी सांस लेना भी शामिल है (2)। गहरी सांस लेने से स्ट्रेस दूर होने के साथ ही मूड भी बेहतर होता है । इसी वजह से माना जाता है कि गहरी सांस लेने से अप्रत्यक्ष रूप से पैनिक अटैक से राहत मिल सकती है।

5.  माइंडफुलनेस मेडिटेशन
माइंडफुलनेस मेडिटेशन भी पैनिक अटैक को रोकने का अच्छा तरीका माना जाता है। इसे माइंडफुलनेस कॉग्निटिव थेरेपी भी कहा जाता है, जिसमें भावनाओं पर नियंत्रण रखने, खुद के साथ समय बिताने, अच्छी चीजों को महसूस करना और मेडिटेशन शामिल है। यह माइंडफुलनेस एक्सरसाइज स्ट्रेस और चिंता को दूर करने में मदद कर सकते हैं, जिनका सीधा संबंध पैनिक अटैक से है ।

6. शांत रहें और आंखें बंद रखें
पैनिक अटैक से ग्रसित लोगों को शांत रहने और अटैक आने का आभास होते समय आंखें बंद करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, पैनिक अटैक पर्यावरणीय कारणों से भी पड़ता है, ज्यादा भीड़-भाड़ और आसपास की चहल-पहल की वजह से इसपर और बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में खुद को शांत रखने की कोशिश करें। साथ ही अच्छी तरह सांस लेते और छोड़ते रहें। साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करें।

पैनिक अटैक होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं – 
पैनिक अटैक अगर आपको पहली बार आया है, तो आप इसे लेकर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, ताकि इसके दोबारा आने से पहले ही इस पर नियंत्रण हासिल किया जा सके। साथ ही लेख में बताए गए इसके कारण (जैसे चिंता, तनाव और अवसाद) की स्थिति में भी डॉक्टर से संपर्क करना एक अच्छा फैसला होगा। इसके अलावा, पैनिक अटैक के लक्षण भी व्यक्ति को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए लेख में बताए गए इसके लक्षणों के प्रभाव को कम करने के लिए भी डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए।

पैनिक अटैक का इलाज –
पैनिक अटैक का इलाज करने के लिए मनोवैज्ञानिक और औषधीय दोनों प्रकार का ट्रीटमेंट दिया जाता है। इन दोनों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं ।

मनोवैज्ञानिक इलाज
मनोवैज्ञानिक इलाज में कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (दिमाग से संबंधित थेरेपी) शामिल है। इसमें पीड़ित को पैनिक अटैक के दौरान भावनाओं में होने वाले बदलाव व घबराहट के प्रति प्रतिक्रिया करने और सोचने के विभिन्न तरीकों को सिखाया जाता है। यह थेरेपी पैनिक अटैक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।
पैनिक अटैक का कारण बनने वाली संबंधित बीमारियों में भी सुधार लाना।
श्वास प्रशिक्षण (Breathing Training) हाइपरवेंटिलेशन को कम करता है, मतलब उस स्थिति को जब व्यक्ति बहुत जोर-जोर से श्वास लेना शुरू करता है, जो पैनिक अटैक का एक लक्षण है।

औषधीय इलाज

  • फार्माकोलॉजिकल उपचार के दौरान एंटीडिप्रेसेंट्स और बेंजोडायजेपाइन दवाएं दी जाती हैं।
  • एंटीडिप्रेसेंट्स में, अन्य दवाओं के मुकाबले अधिकतर विशेषज्ञ सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors) लेने की सलाह दे सकते हैं।
  • गंभीर लक्षण वाले रोगियों को एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं का प्रभाव न दिखने तक अल्प्राजोलम दवा दी जा सकती है।
  • चलिए, अब एक नजर डालते हैं पैनिक अटैक से बचाव के कुछ टिप्स पर।
पैनिक अटैक से बचाव  – 
पैनिक अटैक प्रभावित व्यक्ति के लिए काफी भयावह होता है, यह तो हम बता ही चुके हैं। इस समस्या के बारे में इतना कुछ जानने के बाद पैनिक अटैक से बचाव के बारे में भी पता होना जरूरी है। पैनिक अटैक को कम करने के तरीके में इन बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है –
  • मानसिक आघात की स्थिति में खुद को संभालने की कोशिश करना।
  • तनाव व स्ट्रेस से बचाव।
  • शराब का सेवन न करना।
  • कैफीन का सेवन कम या न करना।
  • परिवार से अपनी छोटी-बड़ी परेशानियां साझा करना।
  • अवसाद दूर करने के तरीके जैसे खुद को खुश रखने की कोशिश।
  • इसके अलावा, मनोचिकित्सक से इससे बचने के उपाय जाने जा सकते हैं।
पैनिक अटैक के बारे में हम विस्तार से इस लेख में जानकारी दे चुके हैं। उम्मीद करते हैं कि इस जानकारी की मदद से प्रभावित लोगों को फायदा मिलेगा। यहां बताए गये पैनिक अटैक के लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। यह समस्या डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों की मदद से काफी हद तक नियंत्रित की जा सकती है।

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