गोण्डा लाइव न्यूज एक प्रोफेशनल वेब मीडिया है। जो समाज में घटित किसी भी घटना-दुघर्टना "✿" समसामायिक घटना"✿" राजनैतिक घटनाक्रम "✿" भ्रष्ट्राचार "✿" सामाजिक समस्या "✿" खोजी खबरे "✿" संपादकीय "✿" ब्लाग "✿" सामाजिक "✿" हास्य "✿" व्यंग "✿" लेख "✿" खेल "✿" मनोरंजन "✿" स्वास्थ्य "✿" शिक्षा एंव किसान जागरूकता सम्बन्धित लेख आदि से सम्बन्धित खबरे ही निःशुल्क प्रकाशित करती है। एवं राजनैतिक , समाजसेवी , निजी खबरे आदि जैसी खबरो का एक निश्चित शुल्क भुगतान के उपरान्त ही खबरो का प्रकाशन किया जाता है। पोर्टल हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ विदेशों में हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और भारत में उत्तर प्रदेश गोण्डा जनपद में स्थित है। पोर्टल का फोकस राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाना है और आम लोगों की आवाज बनना है जो अपने अधिकारों से वंचित हैं। यदि आप अपना नाम पत्रकारिता के क्षेत्र में देश-दुनिया में विश्व स्तर पर ख्याति स्थापित करना चाहते है। अपने अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा को उजागर कर एक नई पहचान देना चाहते है। तो ऐसे में आप आज से ही नही बल्कि अभी से ही बनिये गोण्डा लाइव न्यूज के एक सशक्त सहयोगी। अपने आस-पास घटित होने वाले किसी भी प्रकार की घटनाक्रम पर रखे पैनी नजर। और उसे झट लिख भेजिए गोण्डा लाइव न्यूज के Email-gondalivenews@gmail.com पर या दूरभाष-8303799009 -पर सम्पर्क करें।

पोपलर की फसल की खेती करने के बारे में जानकारी

Image SEO Friendly

पोपलर एक पतझड़ी वृक्ष है और यह सैलिकेसी परिवार से संबंधित है। यह आदर्श जलवायु में जल्दी उगने वाला वृक्ष है। पोपलर की लकड़ी और छाल प्लाइवुड, बोर्ड और माचिस की तीलियां बनाने में प्रयोग की जाती हैं, खेल की वस्तुएं और पैन्सिल बनाने में भी इनका प्रयोग किया जाता है। भारत में यह पौधा 5-7 वर्षों में 85 फीट या उससे भी ऊपर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल मुख्य पोपलर उत्पादक राज्य हैं।

मिट्टी
पोपलर की खेती क्षारीय और खारी मिट्टी में ना करें। यह उपजाऊ मिट्टी, जिसमें जैविक तत्वों की उच्च मात्रा हो, में उगाये जाने पर अच्छे परिणाम देती है। पोपलर की खेती के लिए मिट्टी का pH 5.8-8.5 होना चाहिए।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

G 48: इस किस्म को ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में उगाया जाता है।

W 22:  इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, पठानकोट और जम्मू में करने के लिए अनुकूल है।

दूसरे राज्यों की किस्में
पोपलर की और किस्में: UDAI, W 32, W 39, A 26, S 7, C 15, S 7, C 8.

ज़मीन की तैयारी

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 2-3 बार जोताई करें। यदि जिंक की कमी हो तो खेत की तैयारी के समय जिंक सलफेट 10 किलोग्राम प्रति एकड़ में डालें।

बिजाई
बिजाई का समय
पोपलर के नए पौधे की रोपाई के लिए जनवरी से फरवरी का समय अच्छा होता है। रोपाई 15 फरवरी से 10 मार्च में की जा सकती है।

फासला
एक एकड़ में 182 पौधे लगाने के लिए 5x5 मीटर के फासले का प्रयोग करें या 396 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटर x 4 मीटर या 6 मीटर x 2 मीटर और 476 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटर x 2 मीटर फासले का प्रयोग करें।

बीज की गहराई
रोपाई के लिए 1 मीटर गड्ढा खोदें और पौधे को इसी गड्ढे में लगाएं। मिट्टी में गले हुए गाय का गोबर 2 किलो, म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 ग्राम और सिंगल सुपर फासफेट 50 ग्राम मिलायें।

बिजाई का ढंग
इसकी बिजाई सीधे या पनीरी लगाकर की जाती है।

बीज
बीज की मात्रा
एक एकड़ में 182 पौधे लगाने के लिए 5x5 मीटर के फासले का प्रयोग करें या 396 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5मीटर x 4 मीटर या 6 मीटर x 2 मीटर और 476 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटरx 2 मीटर फासले का प्रयोग करें।

अंतर फसली
पहले दो सालों में अंतर फसली ली जा सकती है। पोपलर की खेती शुरूआत समय में किसान के लिए बहुत लाभ देने वाली होती है। अंतर फसली के तौर पर फसलें जैसे गन्ना, हल्दी और अदरक की खेती की जा सकती है।

बीज का उपचार

नए पौधों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए, रोपाई से पहले नए पौधों को फंगसनाशी से उपचार करना चाहिए। उपचार से पहले प्रभावित जड़ों की छंटाई करनी चाहिए। नए पौधे का क्लोरोपाइरीफॉस 250 मि.ली. को 100 लीटर पानी से 10-15 मिनट के लिए उपचार करें इसके बाद नए पौधों को एमीसान 6,  200 ग्राम को 100 लीटर पानी में 20 मिनट के लिए डालें।
फंगसनाशी के नाममात्रा (प्रति 100 लीटर पानी)
Chlorpyriphos250ml
Emisan 6200gm

खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
Age of crop
(Year)
Well decomposed cow dung
(kg)
Urea + SSP(gm)
First year850
Second year1080
Third year15150
Fourth year and above15200
पहले साल में गाय के गले हुए गोबर 8 किलो के साथ यूरिया + एस एस पी 50 ग्राम प्रति पौधे में डालें। दूसरे और तीसरे साल के दौरान गाय का गला हुआ गोबर 10 किलो और 15 किलो यूरिया + एस एस पी 80 ग्राम और 150 ग्राम प्रति पौधे में डालें। चौथे और अगले सालों में गाय का गला हुआ गोबर 15 किलो और यूरिया + एस एस पी 200 ग्राम प्रति पौधे में डालें।

प्रत्येक वर्ष के जून, जुलाई और अगस्त के महीने में खादें डालें।

खरपतवार नियंत्रण
फसल के शुरूआती समय में नदीनों को हटाएं। एक बार वृक्ष विकसित हो जाये फिर छांव के नीचे नदीन बहुत कम विकसित होते हैं।

जब फसल दो से तीन साल की हो जाये तब वृक्ष के 1/3 हिस्से की छंटाई करें। 4 से 5 वर्ष के पौधे के लिए 1/2 वृक्ष के हिस्से की छंटाई करें। पूरी छंटाई सर्दियों के दिनों में करें। छंटाई के बाद बॉर्डीऑक्स के पेस्ट को छांटे हुए हिस्सों में लगाएं। पहले वर्ष में यदि पौधे की कली ना बनती दिखे तो वृक्ष के 1/3 निचले हिस्से को बाहर निकाल दें। हिस्से को बाहर निकालते समय उसके साथ के हिस्सों को भी बाहर निकाल दें। यही प्रक्रिया दूसरे वर्ष में दोबारा दोहरायें।

सिंचाई
नर्सरी में पौधों की कटाई के बाद तुरंत सिंचाई करें बाकी की सिंचाई 7 से 10 दिनों के अंतराल पर मिट्टी की किस्म और जलवायु के अनुसार करें। सिंचाई के साथ तना गलन और नर्सरी में पानी के खड़े होने से रोकने के लिए निकास की सुविधा होनी चाहिए। रोपाई से पहले 7-10 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।

पहले वर्ष के दौरान मॉनसून के शुरू होने तक 7 दिनों के अंतराल पर हल्की और लगातार सिंचाई करें। अक्तूबर-दिसंबर महीने में प्रति महीना दो सिंचाई करें। दूसरे वर्ष में सर्दियों के मौसम में 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और गर्मियों के महीने में 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। तीसरे वर्ष में और अगले वर्षों में गर्मियों में प्रति महीने दो सिंचाई करें।

पौधे की देखभाल

हानिकारक कीट और रोकथाम
दीमक
Image SEO Friendly

यदि इसका हमला दिखे तो इसे रोकने के लिए क्लोरपाइरीफॉस 2.5 लीटर प्रति एकड़ में डालें।

तना छेदक:
Image SEO Friendly

इस कीट के संक्रमण के मामले में, बुवाई के दूसरे वर्ष तक फेरेट 10 ग्राम 5 किग्रा / एकड़ की दर से लगायें या इसे नियंत्रित करने के लिए केरोसिन इंजेक्शन के 2 से 5 मि.ली. प्रति छेद पर लगाएं।

जूँ: 
Image SEO Friendly

यदि एक हमले को देखा जाता है, तो इसे रोकने के लिए मेटास्टेसिस 2 मिली। प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 15 दिन के अंतराल पर फिर से स्प्रे करें।

पत्तों का गिरना: 
Image SEO Friendly

यदि इसका हमला जुलाई महीने में दिखे तो इसे रोकने के लिए क्लोरपाइरीफॉस@200 मि.ली. + साइपरमैथरीन 80 मि.ली. की स्प्रे प्रति एकड़ में करें।

बीमारियां और रोकथाम
तना गलन: इस बीमारी से बचाव के लिए नए पौधों की जड़ों का एमीसान 6, 4 से 5 ग्राम से प्रति पौधा उपचार करें।

झुलस रोग:
Image SEO Friendly

इस बीमारी का हमला अगस्त और सितंबर के महीने में होता है। यदि इसका हमला दिखे तो इसे रोकने के लिए कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

सूखा: इसका हमला मई से जून के महीने में दिखे तो इसकी रोकथाम के लिए घुलनशील सलफर पाउडर 500 ग्राम की प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

फसल की कटाई
अच्छा बाजारी मूल्य लेने के लिए कटाई सही समय पर करना महत्तवपूर्ण है। उदाहरण के तौर पर यदि पोपलर पौधे का घेरा 24 इंच और भार 1 क्विंटल है तो कीमत 900 रूपये प्रति क्विंटल होगी। यदि पोपलर पौधा 10-18 इंच का है और भार 1.5 क्विंटल है तो उसकी कीमत 725 रूपये प्रति क्विंटल होगी।


No comments:

Post a Comment

कमेन्ट पालिसी
नोट-अपने वास्तविक नाम व सम्बन्धित आर्टिकल से रिलेटेड कमेन्ट ही करे। नाइस,थैक्स,अवेसम जैसे शार्ट कमेन्ट का प्रयोग न करे। कमेन्ट सेक्शन में किसी भी प्रकार का लिंक डालने की कोशिश ना करे। कमेन्ट बॉक्स में किसी भी प्रकार के अभद्र भाषा का प्रयोग न करे । यदि आप कमेन्ट पालिसी के नियमो का प्रयोग नही करेगें तो ऐसे में आपका कमेन्ट स्पैम समझ कर डिलेट कर दिया जायेगा।

अस्वीकरण ( Disclaimer )
गोण्डा न्यूज लाइव एक हिंदी समुदाय है जहाँ आप ऑनलाइन समाचार, विभिन्न लेख, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, हिन्दी साहित्य, सामान्य ज्ञान, ज्ञान विज्ञानं, अविष्कार , धर्म, फिटनेस, नारी ब्यूटी , नारी सेहत ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,18 + ,कृषि ,व्यापार, ब्लॉगटिप्स, सोशल टिप्स, योग, आयुर्वेद, अमर बलिदानी , फूड रेसिपी , वाद्ययंत्र-संगीत आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी केवल पाठकगणो की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दिया गया है। ऐसे में हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप किसी भी सलाह,उपाय , उपयोग , को आजमाने से पहले एक बार अपने विषय विशेषज्ञ से अवश्य सम्पर्क करे। विभिन्न विषयो से सम्बन्धित ब्लाग/वेबसाइट का एक मात्र उद्देश आपको आपके स्वास्थ्य सहित विभिन्न विषयो के प्रति जागरूक करना और विभिन्न विषयो से जुडी जानकारी उपलब्ध कराना है। आपके विषय विशेषज्ञ को आपके सेहत व् ज्ञान के बारे में बेहतर जानकारी होती है और उनके सलाह का कोई अन्य विकल्प नही। गोण्डा लाइव न्यूज़ किसी भी त्रुटि, चूक या मिथ्या निरूपण के लिए जिम्मेदार नहीं है। आपके द्वारा इस साइट का उपयोग यह दर्शाता है कि आप उपयोग की शर्तों से बंधे होने के लिए सहमत हैं।

”go"