मशरूम बीज (स्पॉन) उत्पादन इसका कवक जाल होता है, जो कि अपने चयनित पोषाधार पर उगता है, और मशरूम बीज उत्पादन करने के उद्देश्य के लिए तैयार किया जाता है, आम बोलचाल की भाषा में इसे हम बीज कहते है।मशरूम बीज (स्पॉन) उत्पादन की विभिन्न अवस्थाएँ निम्नलिखित प्रकार से है, जैसे-
संवर्धन बनाना-
मशरूम बीज प्रारम्भिक संवर्धन किसी भी प्राधिकृत अभिकरण से प्राप्त किये जा सकते हैं या फिर निम्नलिखित तीन पद्धतियों से बनाये जा सकते हैं, जैसे-
एकल बीजाणु संवर्धन विधि-
1. बन्द व साफ मशरूम का चयन करते हैं, 70 प्रतिशत एल्कोहल से इसे साफ करने और मशरूम के तने के निचले हिस्से को तेज धारदार चाकू या अन्य यंत्र से काटते हैं।
2. निर्जमीकृत पेट्री प्लेट में तार की सहायता से तैयार किये गये स्टैण्ड पर मशरूम फलनकाय खड़ी अवस्था में रख देते हैं, और इसे एक गोल मुँह वाले बीकर से ढक दिया जाता है।
3. इस मशरूम युक्त पेट्री प्लेट को 30 मिनट तक सामान्य तापमान पर रखने के बाद, इसे लेमिनारफ्लो चैम्बर के अन्दर रखकर पेट्रीप्लेट से मशरूम फलनकाय तथा बीकर को हटाया जाता है, पेट्री प्लेट को पुनः अन्य निर्जमीकृत पेट्री प्लेट से ढक दिया जाता है।
4. संग्रहित बीजाणुओं की संख्या को 10 से 20 प्रति मिलीलीटर तक पहुँचा दिया जाता है, इसके बाद इसे पिघले हुए सादे अगर माध्यम के साथ निर्जमीकृत पेट्री प्लेट में उड़ेला जाता है, पेट्री प्लेट को 15 दिनों तक बीओडी इनक्युबेटर में 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उष्मायित किया जाता है, एकल बीजाणु पृथक्करण का चयन बीजाणुओं की वृद्धि को सूक्ष्मदर्शी (दूरबीन) द्वारा देखकर किया जाता है।
बहु-बीजाणु संवर्धन विधि-
1. इस विधि से मशरूम बीज उत्पादन हेतु, स्पोर प्रिन्ट से स्पोर उठाने के लिए निवेशन छड़ का निर्णमीकृत छल्ला इस्तेमाल किया जाता है।
2. छल्ला, जिसमें हजारों की संख्या में बीजाणु होते हैं, को पेट्री प्लेट जिसमें माल्ट इक्सट्रैक्ट अगर (एमईए) व कोई अन्य कवक माध्यम होता है, तो ऊपरी धरातल पर स्पर्श करा दिया जाता है।
3. इन पेट्री प्लेटों को 15 से 20 दिनों के लिए बीओडी इनक्यूबेटर में 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उष्मायित किया जाता है।
ऊतक संवर्धन विधि-
1. इस विधि के लिए कार्यक्षेत्र और हाथों को जर्मनाशी तरल द्वारा जीवाणुरहित व बन्द मशरूम को 70 प्रतिशत एल्कोहल से साफ करते है।
2. निर्जमीकृत की हुई अण्डाकार मशरूम को निर्जमीकृत चाकू की सहायता से दो बराबर भागों में काट दिया जाता है।
3. उपरोक्त इन कटे टुकड़ो के उस स्थान से जहां तना और छत्रक एक दूसरे से जुडे रहते हैं, ऊतक के छोटे-छोटे टुकड़े निकालते हैं, और इन टुकड़ो को माल्ट इक्सट्रेक्ट अगार की प्लेट पर विभिन्न स्थानों पर रखा जाता है।
4. इन प्लेटों को 15 से 20 दिनों तक 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर बीओडी इनक्यूबेटर में उष्मायित किया जाता है।
5. कवक जाल फैले माध्यम से छोटे छोटे काट कर इन्हें अन्य माल्ट एक्सट्रेक्ट अगर माध्यम पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है।
6. इसके बाद इन्हें इनक्यूबेटर में 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 15 से 20 दिनों के लिए उष्मायित किया जाता है।
7. इन संवर्धनो को सीधे मशरूम बीज (स्पॉन) माध्यम में इस्तेमाल किया जाता है।
मशरूम बीज संवर्धन सामग्री-
मशरूम बीज (स्पॉन) उत्पादन के लिए बहुत सी ऐसी सामग्री हैं, जिन पर मशरूम का संवर्धन बनाया जाता है, इन सामग्री को तैयार करने की विधि निम्नलिखित है, जैसे-
पीडीए (आलू ग्लूकोज) अगर सामग्री द्वारा
1. 200 ग्राम आलूओं को धोना, छीलना तथा काटना।
2. 1000 मिलीलीटर आसवित जल में आलूओं को खाने योग्य गरम हाने तक उबालना।
3. फिर इसे साफ कपड़े द्वारा छान लिया जाता है और तरल को एक मापक सिलेंडर में संग्रहित किया जाता है।
4. इसके आयतन को ताजा आसवित जल मिलाकर 1000 मिलीलीटर तक बना लिया जाता है।
5. इसके बाद इसमें 20 ग्राम शर्करा (ड्रेक्सट्रोज) और 20 ग्राम ‘अगर’ रासायनिक पदार्थ मिलाया जाता है, व अगर के पूर्णतया घुल जाने तक उबाला जाता है।
6. इस सामग्री को 10 मिलीलीटर क्षमता वाली परखनली या 250 मिली क्षमता के फलास्क में हस्तान्तरित किया जाता है और पानी न सोखने वाली रूई से उनके मुँह को बन्द कर दिया जाता है।
7. तत्पश्चात इन्हें 121 डिग्री सेल्सियस तापमान पर निर्जमीकृत किया जाता है या फिर 15 पी एसआई दबाव पर 15 से 20 मिनट तक रखा जाता है।
8. गर्म परखनलियों को तिरछी अवस्था में रखा जाता है, या सामग्री को निजमीकृत पेट्री प्लेटो में उड़ेल दिया जाता है और इन्हें अगले 2 से 4 घंटों तक ठण्डा होने के लिए रख दिया जाता है।
जौ का अर्क अगर सामग्री द्वारा-
1. इस विधि द्वारा मशरूम बीज (स्पॉन) उत्पादन हेतु, पानी 1000 मिलीलीटर जौ का अर्क (माल्ट एक्सट्रेक्स) 25 ग्राम, अगर 20 ग्राम, पेप्टोन 5 ग्राम, पीएच 7.75 के मध्य।
2. उपरोक्त सामग्री को 1000 मिलीलीटर आसवित पानी में मिलाना।
3. अब इसे लगातार एक समान ताप (आग) पर रखकर अगर के पूर्णतया घुलने तक तक हिलाते रहना।
4. इस सामग्री को परखनलियों या फलास्कों में डाला जाता है और पानी न सोखने वाली रूई से उनके मुँह को बन्द कर दिया जाता है।
5. अब इसको 121 डिग्री सेल्सियस तापमान पर निर्जमीकृत किया जाता है या 15 पीएसआई दबाव पर 15 से 20 मिनट तक रखा जाता है।
6. इन निर्जमीकृत गर्म परखनलियों को तिरछी अवस्था में रखा जाता है या सामग्री को निर्जमीकृत पेट्री प्लेटों में डाल दिया जाता है, अब इन्हें उत्पादन कक्ष में सामान्य तापमान पर ठण्डा किया जाता है।
मशरूम बीज (स्पॉन) सामग्री-
मशरूम बीज (स्पॉन) हेतु बहुत से पदार्थ अकेले ही या विभिन्न पदार्थों के आपसी मिश्रित सामग्री के लिए प्रचलित है, जैसे- धान, मक्का, ज्वार, गेहूँ, राई के दाने, कपास अवशेष और उपयोग की हुई चाय की पत्तियां आदि अधिक प्रचलित सामग्री है। इन सामग्री का उपयोग कर मशरूम बीज (स्पॉन) बनाने हेतु जो विधियां अपनाई जाती है, वे इस प्रकार है, जैसे-
अनाज बीज (गेहूँ, राई, ज्वार, धान, मक्का)-
1. करीब 1 किलो ग्राम दानों को सर्वप्रथम 1.50 लीटर पानी में 20 से 30 मिनट तक उबाला जाता है, फिर इन उबले हुए दानों को छलनी पर फैलाया जाता है और कुछ घंटो तक छाया में तब तक सुखाते हैं, जब तक माध्यम की नमी 55 से 65 प्रतिशत तक हो जाए।
2. सूखे हुए दानों में 5 ग्राम चाक पाऊडर (कैल्शियम कार्बोनेट) और 20 ग्राम जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट) को अच्छी तरह मिलाते हैं, इन दानों को बोतलों में दो तिहाई हिस्से तक या फिर 100 गेज मोटे पॉलीप्रोपेलीन के लिफाफों में भर दिया जाता है, लिफाफों में भी दाने उपलब्ध खाली जगह के दो तिहाई भाग तक ही भरने चाहिए।
3. अब इनके मुँह को पानी न सोखने वाली रूई के ढक्कन से बन्द कर दिया जाता है और रूई न ही अधिक ढीला व न ही अधिक कसा होना चाहिए।
4. मशरूम बीज (स्पॉन) सामग्री से भरी हुई ग्लूकोज की बोतलों या पॉलीप्रोपेलीन के लिफाफों को 121 डिग्री सेल्सियस तापमान पर दो घंटे के लिए निर्जमीकृत किया जाता है, फिर इन्हें लेमिनार फ्लो में रोगाणुरहित हवा में ठण्डा होने के लिए रख दिया जाता है।
5. कवक जाल संवर्धन को निवेशन छड़ की सहायता से इन बोतलों में डाल दिया जाता है और इन बोतलों को दो से तीन सप्ताह के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ऊष्मायित किया जाता है।
मशरूम बीज (स्पॉन) बनाने की प्रक्रिया के दौरान ध्यान रखें-
1. इस प्रक्रिया के दौरान बोतलों या बैगों को इतना कस कर बन्द नहीं करना चाहिए, कि हवा बाहर न आ सके व भाप अच्छी तरह से अन्दर प्रवेश न कर सके, ऐसा करने पर निजकरण दोषपूर्ण होगा।
2. निर्जमीकरण के पश्चात् अवांछनीय फफुद का बाहर से प्रवेश निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है, जैसे-
क) केवल साफ रूई से बने ढक्कनों का ही प्रयोग करना चाहिए।
ख) रूई के ढक्कन के नीचे के स्तर और सामग्री के बीच कम से कम 3 से 4 सेंटीमीटर खाली स्थान होना चाहिए।
3. मशरूम बीज (स्पॉन) बनाने की प्रक्रिया के दौरान, ऑटोक्लेव करने के दौरान रूई की डाट को भीगने से बचाने के लिए उसे एल्यूमिनियम फॉइल से ढक देना चाहिए।
4. मशरूम बीज (स्पॉन) उत्पादन हेतु, निवेशन लेमिनार फ्लो चैम्बर की उपस्थिति में निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाकर करना चाहिए, जैसे-
क) प्रक्रिया के स्थान को रोगाणु मुक्त करने वाले पदार्थ से साफ करना चाहिए।
ख) प्रक्रिया के दौरान हाथों को साबुन या रोगाणु मुक्त करने वाले पदार्थ से रोगाणु रहित करना चाहिए।
ग) ऑटोक्लेव किये हुए माध्यम को निवेशन कक्ष में सुरक्षित ढंग से स्थानांतरित करना
चाहिए।
घ) केवल शुद्ध संवर्धन मशरूम बीज (स्पॉन) का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
5. प्रविष्टि के पश्चात् बोतलों व बैगों के मुँह को एल्यूमिनियम फॉइल से ढकना चाहिए।
मशरूम बीज (स्पॉन) का भण्डारण-
मशरूम बीज (स्पॉन) का भण्डारण इस प्रकार किया जाता है, जैसे- पुआल मशरूम के लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस और बटन ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम के लिए 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भण्डारण किया जाता है। इस तापमान पर कवक जाल की वृद्धि रूक जाती है एवं कवक जाल को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता व मशरूम बीज (स्पॉन) का लम्बे समय तक भण्डारण किया जा सकता है।
मशरूम बीज बनाने की विधि-
- 1. स्वच्छ और बीमारी मुक्त गेहूँ ले।
- 2. गेहूं को 12 से 16 घंटे के लिए पानी में भिगोना है।
- 3. अब गर्म पानी में गेहूँ को 20 से 25 मिनट तक उबालना।
- 4. अतिरिक्त पानी का गेहूं से निकास करना है।
- 5. कैल्शियम कार्बोनेट 0.5 प्रतिशत सल्फेट 2 प्रतिशत का मिश्रण।
- 6. गेहूँ की पीपी बैंग में पैकिंग।
- 7. दो घंटे के लिए वाष्पदावी विसंक्रण।
- 8. गेहूं का कवकजाल से संरोपण।
- 9. 15 से 25 दिनों के लिए बीज को सेते (incubate) है।
- 10. इस प्रकार अब मशरूम बीज (स्पॉन) तैयार है।
अब मशरूम बीज (स्पॉन) सामग्री से भरी हुई ग्लूकोज की बोतलों या पॉलीप्रोपेलीन के लिफाफों को 121 डिग्री सेल्सियस तापमान पर दो घण्टे के लिए ठण्डा होने के लिए दिया जाता है।
निवेशन छड़ की सहायता से संवर्धन को इन बोतलो में डाल देते हैं और इन बोतलों को 2 से 3 सप्ताह के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उष्यायित होने के लिए तैयार है| अब स्पॉन (बीज) उपयोग हेतु तैयार हो जाते है।
सभी मशरूम बीज बनाने का कार्य लगभग समान तरीके से होता है, लेकिन पोषाधार तैयार करने की विधि मशरूम (खुम्ब) के हिसाब से बदलती है। हमारे देश में मुख्यतः चार प्रकार की खाद्य मशरूम की खेती की जाती है, बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, दूधीया और पुआल मशरूम हमारे देश में उगाई जाने वाली प्रमुख खाद्य मशरूम है।
उत्पादन में लागत-
मशरूम उत्पादन एक कम लागत और बहुत ज्यादा मुनाफा देने वाली व्यवसायिक खेती साबित हो सकती है, अगर कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखकर खेती करते हैं, तो मशरूम उत्पादन के लिए हमें सबसे पहले बीज या स्पॉन की आवश्यकता है।बीज या स्पॉन बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं और उनमें खर्च का विवरण दिया गया है, जो इस प्रकार है, जैसे-
मशरूम बीज के लिए कार्य स्थल का निर्माण -
- 1. इनोकुलेशन कमरा- 15×10 फीट
- 2. इनक्यूबेशन कमरा- 15×10 फीट
- 3. आटोक्लेविंग और मिश्रण कमरा- 20×15 फीट
- 4. इस प्रकार बीज बनाने के लिए घर खर्च 3 से 5 लाख रूपये
मशरूम बीज हेतु मशीन-
- 1. ऑटोक्लेव, 60 लिटर- 70000/-
- 2. लैमिनार ऐयर फ्लो ;4 x 2 x 2 फीट- 100000/-
- 3. हीटर तापमान संचालित करने के लिए- 50000/-
- 4. एसी तापमान संचालित करने के लिए 2 से 3- 60000/-
- 5. स्प्रिट लैप- 5000/-
- 6. भगोना- 10000/-
- 7. बड़ी छलनी अधिक नमी हटाने के लिए- 10000/-
केमिकल और सामग्री समान-
- 1. गेहूं
- 2. कैल्शियम सल्फेट
- 3. कैल्शियम कार्बोनेट
- 4. स्प्रिट
- 5. फार्मिलिन
- 6. रूई, पानी से नहीं भीगने वाली
- 7. अन्य मिश्रित समान (जरूरत के मुताबिक सभी का खर्च करीब) – 30000 से 50000/-
कुल खर्च- इस प्रकार कुल खर्च लगभग- 6 से 9 लाख होता है।
मशरूम बीज व्यवसायिक तौर पर बनाने के लिए ऊपर दिए गए सामग्री की जरूरत होती है। जिसमें लागत 6 से 9 लाख रुपये, 2 से 5 क्विंटल बीज प्रति महीना बनाने के लिए आती है, मशरूम बीज बनाने में शुरूआती खर्च अत्यधिक है, लेकिन बाद में खर्च कम आता है। एक किलोग्राम उत्तम गुणवत्ता वाले बीज बनाने में लगभग 40 से 50 रुपये का खर्च आता है, और 90 से 120 रुपये किलोग्राम में इस बीज को आराम से बेचा जा सकता है, जिससे किसानों को लगभग 50 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम बीज पर फायदा होता है।
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